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    मारवाड़ी व जैन समाज की होली उल्लास पर

    By Edited By:
    Updated: Wed, 29 Feb 2012 06:44 PM (IST)

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    मेदिनीनगर : नई उमंग, उत्साह व उल्लास से लवरेज रंगों का त्योहार होली दस्तक दे चुका है। समाज का हर तबका रंगों में सराबोर होने को बेताब है। महुआ व पलाश के फूलों के बीच पलामू में होली का उमंग कुछ अलग है। मारवाड़ी समाज के कमल मुरारका की मानें तो इनके समाज में होलनी से ही नववर्ष की शुरुआत है। भक्त प्रहलाद की जय-जयकार के बीच इस त्योहार का आगाज होता है। होलिका दहन की रात इस समाज में विशेष पूजन का महत्व है। घर के सभी परिवार होलिका दहन में शामिल होकर विशेष पूजा पाठ करते हैं। वहां की अग्निदेव को घर लाकर उस पर पापड़ सेंकने की प्रथा प्रचलित है। इस पूजन के बाद घर के ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा होती है। उन पर पहले रंग अबीर व गुलाल चढ़ता है। शुभ वर्ष की कामना की जाती है। तब घर से होली की शुरुआत होती है। इस मौके पर इनके महाविशेष पकवान बनाने की भी प्रथा है। दूसरी ओर जैन समाज के लिए होली आपसी मिलन व भाईचारगी का प्रतीक है। जैन समाज के अमित कुमार जैन बताते हैं कि होली पर महावीर भगवान की विशेष उपदेशों को लोगों के बीच पहुंचाया जाता है। जैन समाज इस त्योहार पर भगवान महावीर को याद ही नहीं करते बल्कि उनके तीर्थस्थलों पर होली का विशेष आयोजन करते हैं। जहां समाज के लोग एकत्र होकर इस रंगों भरा त्योहार को मनाते हैं। इन्होंने कहा कि जैन समाज इस त्योहार पर समाज के हर तबके के लोगों के बीच रंग गुलाल खेलते हैं ताकि समाज से भेदभाव को मिटाया जा सके।

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