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    NEET UG Result 2023: रंग लाई मां की मेहनत, 3 बच्चों के साथ कोटा रहकर बचाया हॉस्टल खर्च, अब तीनों ने मारी बाजी

    By Jagran NewsEdited By: Yashodhan Sharma
    Updated: Wed, 14 Jun 2023 07:55 PM (IST)

    कठिन परिश्रम करने वालों की सफलता हमेशा कदम चुमती है यह एक बार फिर साबित कर दिखाया है झारखंड के पाकुड़ के तीन सगे भई-बहनों ने। वहीं मां की मेहनत ने तीनों बच्चों के सपनों को नई उड़ान दी है।

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    रंग लाई मां की मेहनत, 3 बच्चों के साथ कोटा रहकर बचाया हॉस्टल खर्च, अब तीनों ने मारी बाजी

    जागरण संवाददाता,पाकुड़: कठिन परिश्रम करने वालों की सफलता हमेशा कदम चुमती है यह एक बार फिर साबित कर दिखाया है झारखंड के पाकुड़ के तीन सगे भई-बहनों ने। वहीं, मां की मेहनत ने तीनों बच्चों के सपनों को नई उड़ान दी है।

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    मजेदार बात यह है कि तीनों ने यह सफलता एक साथ हासिल की है। मंगलवार को घोषित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) में पाकुड़ निवासी अकमर होसैन की दो बेटियां अजीफा परवीन एवं अनिसा तसनीम व एक बेटे जाईद अख्तर ने सफलता का परचम लहराया है।

    बच्चों की इस सफलता से उनके माता-पिता प्रफुल्लित हैं। कहते हैं बच्चों की मेहनत व उनके त्याग ने आज खुशी का असर प्रदान किया है।

    कोटा में रहकर तीनों ने की तैयारी

    अकमर की बड़ी बेटी अजीफा ने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। उसे ऑलइंडिया रैंक 32850 प्राप्त हुआ है। उसने मैट्रिक की परीक्षा दुर्गापुर व इंटर संत जोसेफ कानवेंट स्कूल मुसाबनी से की थी।

    दूसरी बेटी तसनीम को दूसरे प्रयास में सफलता हाथ लगी। उसने संत जोसेफ कॉनवेंट स्कूल मुसाबनी से मैट्रिक व इंटर कोटा से की। उसे ऑलइंडिया रैंक 36793 प्राप्त हुई है। अकमर के बेटे जाईद को पहले प्रयास में ही नीट में सफलता मिल गई।

    जाईद ने इसी साल 2023 में कोटा से इंटर की परीक्षा पास की है। जाईद को तीनों भाई बहनों में सबसे बेहतर ऑल इंडिया रैंक 7520 प्राप्त हुई है।

    जाईद ने बताया कि वह कोलकाता से मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता है, जबकि उसकी दोनों बहने रिम्स से मेडिकल करना चाहती है।

    बच्चों के साथ कोटा में रहती थी मां

    अकमर बताते हैं कि एक सरकारी शिक्षक के द्वारा तीन-तीन बच्चों को कोटा में रखकर पढ़ाना कितना कठिन है यह बताने की जरूरत नहीं है। हॉस्टल का खर्च बचाने के लिए तीनों बच्चों के साथ उनकी मां को दो साल कोटा में रहना पड़ा।

    इस बीच वह खुद खाना बनाकर खाते थे। पूरा वेतन बच्चों की पढ़ाई पर खर्च किया। जो कुछ बचत थी, वह भी इसमें लगा दी। संतोष है कि बच्चों ने सफलता अर्जित कर सब भरपाई कर दी।

    उन्होंने बताया कि वे जमशेदपुर के प्राथमिक विद्यालय बोधनी में शिक्षक हैं। इसके पहले पाकुड़ में काफी दिनों तक पारा शिक्षक थे। उनका जीवन भी संघर्षों से भरा रहा।