पाकुड़ में उत्क्रमित उच्च विद्यालय में शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई हो रहा प्रभावित... छह शिक्षकों पर टिका है 482 बच्चों का भविष्य
जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीदासपुर है। इस विद्यालय में कक्षा एक से 10 तक की पढ़ाई होती है। नियम के अनुसार यहां कम से कम कक्षावार दस शिक्षक-शिक्षिकाएं होनी चाहिए लेकिन पांच सरकारी व एक पारा शिक्षिका पदस्थापित हैं।

संवाद सहयोगी, पाकुड़ : जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीदासपुर है। इस विद्यालय में कक्षा एक से 10 तक की पढ़ाई होती है। नियम के अनुसार यहां कम से कम कक्षावार दस शिक्षक-शिक्षिकाएं होनी चाहिए, लेकिन पांच सरकारी व एक पारा शिक्षिका पदस्थापित हैं। विद्यालय में 482 बच्चे नामांकित है। शिक्षकों की यह संख्या शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन भी है।
शुक्रवार को विद्यालय में 295 बच्चे उपस्थित थे। दोपहर एक बजे विद्यालय के बरामदे व परिसर में कुछ बच्चे खेल रहे थे। दो व तीन कक्षा एक कक्ष तथा दूसरे रूम में एक साथ तीन व चार का क्लास चल रहा था। इन दोनों क्लास में टीचर नहीं थे। कुछ बच्चे आपस में खेल रहे थे तो कुछ बच्चे आपस मे बातें कर रहे थे। इसी समय विद्यालय के रसोई घर में रसोइया मिट्टी के चूल्हे पर खाना बना रही थी।
चावल, दाल, अंडा बन गया था। सब्जी बनाने की तैयारी चल रही थी। यहां स्कूलों में एलपीजी गैस सिलेंडर सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जाने के बाद भी मिट्टी के चूल्हों पर खाना पकाया जा रहा था। विद्यालय में कक्षा 10 में भी बच्चे तो थे परंतु शिक्षक कक्ष में नहीं दिखे। प्रधान शिक्षक सहित चार शिक्षक कार्यालय में बैठकर कुछ कार्य कर रहे थे। प्रधान शिक्षक ओपेन हेंब्रम ने बताया कि एमडीएम व अंडा का राशि दो-तीन माह पूर्व समाप्त हो गया है। उधार में एमडीएम व अंडा चल रहा है। गैस भरवाने की राशि नहीं है। शिक्षकों की कमी है। मध्य विद्यालय में शिक्षकों का स्वीकृत पद 14 था।
हाई स्कूल बनने के बाद भी 14 ही है। इसमें में भी मात्र छह शिक्षक कार्यरत हैं। बाकी पद रिक्त पड़ा हुआ है। इसके पूर्व उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मारीडीह में भी बेहाल शिक्षा देखने को मिली। इस स्कूल में वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है। यहां कुल 73 बच्चे नामांकित है। इसमें मात्र 38 बच्चे उपस्थित थे। इस स्कूल में दो सरकारी शिक्षक पदस्थापित हैं। इस विद्यालय में एक व दो एक रूम तथा दूसरे रूम तीन से पांच तक कक्षा संचालित हो रहा था। 12.43 बजे संयुक्त कक्षा तीन से पांच तक क्लास टीचर नही थे। दूसरे रूम में वर्ग एक व दो बच्चों को प्रधान शिक्षिका सुहागिनी मरांडी पढ़ा रही थी। एमडीएम बन गया था। एमडीएम से अंडा गायब था । प्रधान शिक्षिका ने बताया कि एमडीएम का राशि तीन माह पूर्व समाप्त हो गया है।
वर्जन
मिट्टी व कोयला के चूल्हे पर एमडीएम नहीं बनाने का सख्त निर्देश पूर्व में ही दिया गया है। आदेश के बावजूद गैस चूल्हा होने के बाद भी जिन विद्यालयों में एमडीएम मिट्टी के चूल्हों पर पकाया जा रहा है, जांचकर संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी। एमडीएम की राशि आने के बाद शीघ्र हस्तांतरित कर दी जाएगी।
मुकुल राज, डीएसई पाकुड़
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