रामकथा में भगवान विष्णु के तीन अवतार का वर्णन
पाकुड़िया (पाकुड़) : रामनवमी के शुभ अवसर पर पाकुड़िया हनुमान मंदिर में आयोजित रामकथा
पाकुड़िया (पाकुड़) : रामनवमी के शुभ अवसर पर पाकुड़िया हनुमान मंदिर में आयोजित रामकथा के दूसरे दिन शुक्रवार की देर शाम गौतम देव महाराज ने भगवान विष्णु के तीन अवतार और रावण के तीन जन्म पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक बार सनकादि मुनि भगवान विष्णु के दर्शन करने बैकुंठ आए। उस समय बैकुंठ के द्वार पर जय-विजय नाम के दो द्वारपाल पहरा दे रहे थे। जब सनकादि मुनि द्वार से होकर जाने लगे तो जय-विजय ने हंसी उड़ाते हुए उन्हें बेंत अड़ाकर रोक लिया। क्रोधित होकर सनकादि मुनि ने उन्हें तीन जन्मों तक राक्षस योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया। क्षमा मांगने पर सनकादि मुनि ने कहा कि तीनों ही जन्म में तुम्हारा अंत स्वयं भगवान श्रीहरि करेंगे। इस प्रकार तीन जन्मों के बाद तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। पहले जन्म में जय-विजय ने हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष के रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष का तथा नृ¨सह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। दूसरे जन्म में जय-विजय ने रावण व कुंभकर्ण के रूप में जन्म लिया। इनका वध करने के लिए भगवान विष्णु को राम अवतार लेना पड़ा। तीसरे जन्म में जय-विजय शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्मे। इस जन्म में भगवान श्रीकृष्ण ने इनका वध किया।
वहीं कथा के दूसरे प्रसंग में श्री महाराज ने बताया कि मनु और उनकी पत्नी शतरूपा से ही मनुष्य जाति की उत्पति हुई। इन दोनों पति-पत्नी के धर्म और आचरण बहुत ही पवित्र थे। वृद्ध होने पर मनु अपने पुत्र को राज-पाठ देकर वन में चले गए। वहां जाकर मनु और शतरूपा ने कई हजार साल तक भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। मनु और शतरूपा ने श्रीहरि से कहा कि हमें आपके समान ही पुत्र की अभिलाषा है। उनकी इच्छा सुनकर श्रीहरि ने कहा कि संसार में मेरे समान कोई और नहीं है। इसलिए तुम्हारी अभिलाषा पूरी करने के लिए मैं स्वयं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा। कुछ समय बाद आप अयोध्या के राजा दशरथ के रूप में जन्म लेंगे, उसी समय मैं आपका पुत्र बनकर आपकी इच्छा पूरी करूंगा। इस प्रकार मनु और शतरूपा को दिए वरदान के कारण भगवान विष्णु को राम अवतार लेना पड़ा।
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