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    Champai Soren: चंपई सोरेन का दावा, कहा- अंग्रेजों की तरह बांग्लादेशियों से खाली कराएंगे आदिवासियों की जमीन

    Updated: Thu, 03 Oct 2024 09:16 PM (IST)

    Champai Soren चंपई सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को भगाने की तरह ही बांग्लादेशियों को खदेड़कर आदिवासियों की जमीन खाली कराएंगे। संताल परगना में आदिवासियों की जमीन लूटने और उनकी संस्कृति पर हमले का आरोप लगाया। उन्होंने आदिवासियों को जगाने और उनकी जमीन वापस लेने का संकल्प लिया।

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    Champai Soren: चंपई सोरेन ने पाकुड़ में लोगों को संबोधित किया।

    जागरण संवाददाता, पाकुड़। भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर हेमंत सोरेन की सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने खून बहाकर अंग्रेजों को भगाया और उससे आदिवासियों की जमीन खाली कराई।

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    इसी तरह हम बांग्लादेशी घुसपैठियों को भगाकर अपनी जमीन खाली कराएंगे। हम आदिवासी बहन और बेटियों के साथ किसी को खिलवाड़ नहीं करने देंगे। हमें जाहेर थान और मांझी थान को बचाना है। इसके लिए हमें एक और लड़ाई लड़नी पड़ी तो हम लड़ेंगे।

    आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही: चंपई

    वे गुरुवार को पाकुड़ के बाजार समिति मैदान में आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि संताल परगना में आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है। बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण कई गांव ऐसे हैं, जहां आज कोई आदिवासी नहीं बचा।

    हम इस मामले में आदिवासी समाज को जगाएंगे। कहा कि हम सम्मेलन के माध्यम से आदिवासियों को जगाने आए हैं। उन्हें यह बताने आए हैं कि किस प्रकार उनके अस्तित्व को मिटाने का काम किया जा रहा है। उनकी सभ्यता, संस्कृति पर हमला किया जा रहा है।

    एक-एक जमीन वापस लेकर रहेंगे : सोरेन

    यहां के बाद गांव-गांव जाकर आदिवासियों को जगाने का काम करेंगे। कहा कि आदिवासियों की परंपरागत कानून व्यवस्था के तहत यह काम किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आदिवासी समाज की जमीन है। जब इस जमीन को बेचने का कोई कानून नहीं है।

    एसपीटी एक्ट में कोई इसे खरीद नहीं सकता तो फिर जमीन की बिक्री कैसे हो गई। उन्होंने हुंकार भरते हुए कहा हम एक-एक जमीन वापस लेकर रहेंगे। उन्होंने सीतापहाड़ी, पत्थर घट्टा, नसीपुर आदि गांव का नाम लेते हुए कहा यह आदिवासी गांव था। आज इस गांव में एक भी आदिवासी नहीं बचे।

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