पाकुड़ में आधार कार्ड का फर्जी खेल, राशन, मोबाइल से लेकर दवा दुकानों तक फैला धंधा
पाकुड़ जिले में आधार कार्ड का फर्जीवाड़ा सामने आया है, जो राशन, मोबाइल और दवा दुकानों तक फैला है। इससे लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में दिक्कतें आ रही हैं और वे ठगी का शिकार हो रहे हैं। स्थानीय लोगों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
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पाकुड़ में आधार का फर्जी खेल, मोबाइल, राशन और दवा की दुकानों तक फैला जाल। फोटो जागरण
रोहित कुमार, पाकुड़। जिले के पाकुड़ प्रखंड में आधार कार्ड बनाने का फर्जी धंधा अब पूरी तरह उजागर हो चुका है। प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए यह गोरखधंधा मोबाइल दुकानों से लेकर राशन और दवा की दुकानों तक फैल गया है।
पड़ताल में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि जिले के 10 से अधिक स्थानों पर बिना किसी अधिकृत अनुमति के दूसरे राज्यों की आइडी पर आधार कार्ड बनाए जा रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, सीतारामपुर में एक मोबाइल दुकान और उससे सटे एक मकान में आधार कार्ड बनाने का कार्य किया जा रहा था। वहीं, पृथ्वीनगर, अंजना, देवतल्ला और फरसा में कुछ लोगों ने अपने निजी घरों को ही आधार केंद्र बना रखा था।
इलामी में तो एक ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) के पिछले हिस्से से यह फर्जीवाड़ा संचालित किया जा रहा था। सबसे चौंकाने वाली जानकारी चांचकी से मिली, जहां एक राशन दुकान में अवैध रूप से आधार बनाए जा रहे थे।
भवानीपुर में स्थिति और भी गंभीर पाई गई, जहां एक दवा दुकान को आधार कार्ड केंद्र बना दिया गया था। इस बीच एसडीओ ने कहा कि कुछ लोगों ने फर्जी आधार बनाने की बात टीम के समक्ष स्वीकार की है।
फर्जी आधार से बन सकते हैं फर्जी नागरिक
विशेषज्ञों का कहना है कि फर्जी आधार कार्ड के जरिए कोई भी व्यक्ति बैंक खाता खोल सकता है, मोबाइल सिम ले सकता है, सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकता है और यहां तक कि मतदाता सूची में नाम भी जुड़वा सकता है।
यह स्थिति तब और खतरनाक हो जाती है, जब इन फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग देशविरोधी तत्वों या सीमा पार से आए घुसपैठिए करने लगें। पाकुड़ की भौगोलिक स्थिति झारखंड-बांग्लादेश सीमा के समीप होने के कारण इसे अवैध नागरिकता नेटवर्क के लिए उपयुक्त स्थान बना देती है।
प्रशासन की छापेमारी, पर आरोपी पहले से फरार
दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। एसडीओ साइमन मरांडी के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने सभी संभावित केंद्रों पर छापेमारी की।
लेकिन जब तक टीम पहुंची, सभी केंद्र खाली कर दिए गए थे। मशीनें और दस्तावेज़ हटा लिए गए थे। प्रशासन को इन स्थानों पर अवैध गतिविधियों की पूर्व सूचना मिली थी।
हालांकि, इस पर अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। छापेमारी टीम में यूआईडी अधिकारी रितेश कुमार, बीडीओ समीर अल्फ्रेड मुर्मू और मुफस्सिल थाना प्रभारी शामिल थे।
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