झारखंड में प्राइवेट स्कूल की टीचर ने छात्र को बेरहमी से पीटा, हाथ और पैर तोड़े; CM ने घटना का लिया संज्ञान
लोहरदगा के भंडरा थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मसमानो गांव के सुकरा उरांव ने संत मेरी पब्लिक स्कूल की शिक्षिका कांति किरण किंडो पर अपने आठ वर्षीय बेटे प्रिंस उरांव को बेरहमी से पीटने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है जबकि स्कूल प्रशासन ने आरोपों को निराधार बताया है।
संवाद सूत्र, भंडरा (लोहरदगा)। भंडरा थाना क्षेत्र के मसमानो गांव निवासी सुकरा उरांव ने पलमी गांव स्थित संत मेरी पब्लिक स्कूल की शिक्षिका कांति किरण किंडो पर अपने आठ वर्षीय पुत्र प्रिंस उरांव पर बेरहमी से पिटाई करने का आरोप लगाया है।
साथ ही भंडरा थाना पुलिस को आवेदन देते हुए प्राथमिकी दर्ज कराया है। साथ ही आरोपित शिक्षिका पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सुकरा उरांव ने पुलिस को दिए आवेदन में स्पष्ट किया है कि उसका पुत्र प्रिंस उरांव (8 वर्ष) संत मेरी पब्लिक स्कूल पलमी के यूकेजी कक्षा में अध्ययनरत है।
प्रिंस उरांव स्कूल के छात्रावास में रहकर पढ़ाई करता है। वह 20 अगस्त 2025 को स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। इसी दौरान दोपहर के समय में स्कूल की शिक्षिका कांति किरण किंडो ने प्रिंस उरांव को अपने कार्यालय में बुलाया और स्कूल की बात स्वजनों को बताने की बात कहते हुए डंडा से बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी।
हाथ और पैर तोड़ा
साथ ही विद्यालय में घटित किसी भी घटना, खान-पान की शिकायत स्वजन या अन्य लोगों के पास नहीं कहने की कड़ी हिदायत दी। शिक्षिका की पिटाई से उनका पुत्र प्रिंस उरांव का दाहिना पैर बुरी तरह टूट गया। इसके अलावा बाएं हाथ की एक अंगुली भी टूट गई।
विद्यालय में घटित घटना की जानकारी प्रिंस ने शिक्षिका की मार की डर से घर पहुंचकर स्वजनों को बताया। इधर भंडरा थाना पुलिस ने सुकरा उरांव के आवेदन मिलने के पश्चात प्राथमिकी दर्ज कर अग्रतर कार्रवाई शुरू कर दी है।
संत मेरी पब्लिक स्कूल के निदेशक जय इशू मिंज ने कहा कि विद्यालय की शिक्षिका द्वारा इस तरह का कोई मारपीट की घटना नहीं हुई है। विद्यालय के शिक्षिका पर मारपीट का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और निराधार है।
सीएम ने घटना का लिया संज्ञान
इस घटना पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने डीसी को तत्काल संज्ञान लेते हुए जांच एवं समुचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा इस घटना पर समुचित कार्रवाई हो ताकि आगे ऐसे कोई भी घटना दुबारा ना हो। साथ ही बच्चे के इलाज एवं काउंसलिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए सूचना दें।
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