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    पर्यावरण संतुलन के लिए पौधरोपण जरूरी : डीसी

    लोहरदगा : विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर मंगलवार को डीसी-एसपी के साथ अन्य पदाधिकारी एवं निर्वाचित प

    By JagranEdited By: Updated: Tue, 05 Jun 2018 07:50 PM (IST)
    पर्यावरण संतुलन के लिए पौधरोपण जरूरी : डीसी

    लोहरदगा : विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर मंगलवार को डीसी-एसपी के साथ अन्य पदाधिकारी एवं निर्वाचित प्रतिनिधियों ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर उपायुक्त विनोद कुमार ने कहा कि बेहतर पर्यावरण संतुलन के लिए पौधरोपण जरूरी है। केवल वृक्ष ही हमें ताजा हवा मुहैया कराते हैं। हमें विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण कर इसे संरक्षित करने की भी शपथ लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग की ओर से भी पौधरोपण अभियान शुरू किया जाएगा। अभियान की कड़ी में पूरे जिले में लगभग ढाई लाख पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी रोपित पौधे सुरक्षित बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण पर लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए हम सभी को सचेत रहने की जरूरत है। हमें वातावरण को शुद्ध बनाने के लिए साफ-सफाई के साथ-साथ पौधरोपण करने की भी जरूरत है। पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को शपथ दिलाई गई कि अब हमारा कर्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें। मोके पर पर्यावरण को शुद्ध बनाने व स्वच्छता की दिशा में अपनी जिम्मेदारी हम कैसे निभा सकते हैं इसपर विस्तार से चर्चा की गई। मौके पर एसपी राजकुमार लकड़ा, डीडीसी शशिधर मंडल, अपर समाहर्ता रंजीत कुमार सिन्हा, डीपीओ महेश भगत, कार्यपालक दण्डाधिकारी छंदा भट्टाचार्या, जिला पंचायती राज्य पदाधिकारी मनीषा तिर्की, जिला नियोजन पदाधिकारी पंकज झा, एनडीसी राजीव नीरज, डीएसपी आशिष कुमार महली के अलावे अनेक पदाधिकारी मौजूद थे। प्रकृति के छेड़छाड़ से होता है प्राकृतिक आपदा : एसपी

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    लोहरदगा : विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एसपी राजकुमार लकड़ा ने कहा कि बदलती जलवायु के प्रमुख कारक कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिक मात्रा से गरमाती धरती का कहर बढ़ते तापमान से अब स्पष्ट द्वष्टिगोचर होने लगा है। उन्होंने कहा कि तापमान का बदलता स्वरूप मानव द्वारा प्रकृति के साथ किए गए निर्मम तथा ¨नदनीय व्यवहार का सूचक है। उन्होंने कहा कि अपने ही स्वार्थ में अंधे मानव ने अपने ही जीवन प्राण वनों का सफाया कर प्रकृति के प्रमुख घटको जल, वायु तथा मृदा से खुद को वंचित कर दिया है।