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    लोहरदगा व गुमला के दो गांवों के लोगों से पीएम करेंगे संवाद, पूरे देश को सुनाएंगी इनकी आत्‍मनिर्भरता की कहानी

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Sat, 26 Aug 2023 12:51 PM (IST)

    Jharkhand News पीएम मोदी 27 अगस्त को मन की बात कार्यक्रम में लोहरदगा जिले के सुदूरवर्ती जंगली और पहाड़ी क्षेत्र कुडू प्रखंड के मसियातू तथा गुमला के मुरकुंडा पंचायत के एग्री स्मार्ट विलेज कोंटेगसेरा के ग्रामीणों से संवाद करेंगे। यहां के लोगों ने पूरे देश के सामने आत्‍मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। ये लोग गांव से रोजगार के लिए पलायन करने के बजाय यहीं रहकर रोजगार कर रहे हैं।

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    बांस के उत्पाद तैयार करती मसियातु गांव की महिलाएं।

    राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा। Jharkhand News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अगस्त को 'मन की बात' कार्यक्रम में लोहरदगा जिले के सुदूरवर्ती जंगली और पहाड़ी क्षेत्र कुडू प्रखंड के मसियातू तथा गुमला के मुरकुंडा पंचायत के एग्री स्मार्ट विलेज कोंटेगसेरा के ग्रामीणों से संवाद करेंगे। लोहरदगा का मसियातू बांस की कारीगरों के लिए प्रसिद्ध है तो गुमला का कोंटेगसेरा जैविक खेती के लिए जाना जाता है।

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    यहां के लोगों की आत्‍मनिर्भरता की कहानी सुनेगा भारत

    प्रधानमंत्री इन गांवों के लोगों की आत्मनिर्भरता की कहानी पूरे देश को बताएंगे। सांसद सुदर्शन भगत ने हर्ष व्यक्त करते हुए ग्रामीणों को बधाई दी है।

    लोहरदगा जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर मसियातु गांव जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है। यह गांव हाथियों के आतंक का भी दर्द झेलता है। इसके अलावा, इस गांव के लोगों ने नक्सलियों का भी खौफ देखा है।

    लोगों ने गांव में ही ढूंढ़ लिया रोजगार

    बावजूद इसके यहां के लोग रोजगार के लिए पलायन नहीं करते, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं। यहां के लोगों के हुनरमंद लोग बांस से सुंदर और महीन कारीगरी वाले उत्पाद तैयार करते हैं।

    ग्रामीण बांस से सूप, टोकरी, पेन स्टैंड, टूथब्रश स्टैंड, फोटो फ्रेम, सोफा, टेबल आदि का निर्माण करते हैं। हर परिवार का प्रति सदस्य इस काम को करके घर बैठे 300 रुपये तक की आमदनी कर लेता है।

    बांस के काम से चलता है घर-परिवार

    परिवार के दो-तीन सदस्य मिलकर बड़े आराम से हजार रुपये की आमदनी करते हैं। बहरहाल, गांव के लगभग 60 परिवारों के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी इस काम को करते आ रहे हैं।

    बताते चलें कि ग्रामीण बांस के उत्पाद तैयार करने के लिए लोहरदगा के जंगलों के अलावा दूसरे जिलों से भी बांस खरीद कर लाते हैं। इसके बाद बांस के उत्पाद तैयार करते हुए इसे बेचते हैं। छोटे-छोटे उत्पाद एक दिन में एक या दो पीस तैयार हो जाते हैं।