केकरांग और लावापानी जलप्रपात सैलानियों को करता है आकर्षित
लोहरदगा : जिला मुख्यालय से ब्राह्माणडीहा, बेटहट, हेसापीढ़ी होते हुए 20 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों से
लोहरदगा : जिला मुख्यालय से ब्राह्माणडीहा, बेटहट, हेसापीढ़ी होते हुए 20 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों से कल-कल कर गिरता झरना आने-जाने वालों को ठहरने पर विवश कर देता है। प्रकृति का इस अविरल सुंदरता का नाम है केकरांग जलप्रपात। लोहरदगा से पेशरार जाने वाली सड़क में केकरांग की सुंदरता हर आगंतुक को आकर्षित करती है। दूसरी ओर इसी रास्ते से हो कर आगे बढ़ने पर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लावापानी जलप्रपात भी प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक नायाब नगीना है। इन्हें भी देख कर लोगों का ठहरना और निहारना एक म•ाबूरी बन जाती है। केकरांग और लावापानी देख कर यही लगता है कि नववर्ष की नव प्रभात का स्वागत भला इस से बेहतर कहां हो सकता है। जंगलों की हरियाली और पहाड़ों की गोद में बसा किस्को और पेशरार प्रखंड में अवस्थित ये हसीन वादियां प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पड़ा हुआ है। इन्हीं सब नजारों को देख कर सरकार पर्यटन के क्षेत्र में विकास करने की बात तो कह रही है। बावजूद अपनी अनछुई सुंदरता की वजह से ये सैलानियों को लालायित करती है। घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से यहां विकास तो नजर नहीं आता परंतु प्रकृति का अनमोल खजाना बिखरा पड़ा है।
ऐसे जाएं केकरांग और लावापानी
जिला मुख्यालय से क्रमश: 20 और 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केकरांग और लावापानी जाने के लिए निजी वाहनों का ही सहारा है। यहां तक जाने के लिए बेहतर सड़क तो नहीं है, परंतु कच्ची सड़क के सहारे सहजता से पहुंचा जा सकता है। दोपहिया और चार पहिया वाहनों के माध्यम से इन स्थानों तक पहुंचा जा सकता है।
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