Lohardaga News: आवासीय विद्यालय की 350 बच्चियां नदी में स्नान करने को मजबूर, चौंका देगी वजह
Jharkhand News In Hindi झारखंड के लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड स्थित झारखंड आवासीय विद्यालय में छात्राओं को पानी के लिए नदी और कुएं की दौड़ लगानी पड़ती है। विद्यालय में बोरिंग फेल होने के कारण पानी की किल्लत है। छात्राओं को नहाने कपड़े धोने सहित अन्य कार्यों के लिए नदी जाना पड़ता है। इससे उनकी सुरक्षा भी खतरे में है।

शंभू प्रसाद सोनी, कैरो (लोहरदगा)। तस्वीरें सोचने को विवश करती हैं। शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती हैं। बेटियाें की सुरक्षा पर सवाल खड़ी करती हैं। आवासीय विद्यालयों में सुविधाएं व सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है।
इसकी बानगी लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड स्थिति झारखंड आवासीय विद्यालय में देखने को मिलती है। यहां नामांकित बेटियां नदी में नहाने को विवश हैं। क्योंकि उनके विद्यालया में पानी का घोर अभाव है।
विद्यालय में अध्ययनरत बेटियाें का भविष्य नदियों में डुबकी लगा रहा है और विभाग कागजी नैया पर सवार है। लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड स्थित झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चियों को पानी के लिए नदी और कुएं की दौड़ लगानी पड़ती है।
विद्यालय में बोरिंग हुई थी, लेकिन फेल हो गई
- छात्राओं को पेयजल के लिए पानी का जुगाड़ दूर-दराज से करना पड़ता है। विद्यालय में कुल 350 छात्राएं नामांकित हैं।
- विद्यालय में बोरिंग हुई थी, लेकिन फेल हो गई। इस कारण पानी कम मात्रा में निकलता है। बालिकाओं को स्नान करने, कपड़ा धोने सहित अन्य कार्यों के लिए नदी जाना पड़ता है।
- इसलिए वह विद्यालय में असुरक्षित महसूस करती हैं। इनके अभिभावक भी चिंतित रहते हैं। वे अपनी बेटियों को अकेले नदी तरफ नहीं जाने की सलाह फोन पर भी देते रहते हैं। इस व्यवस्था से अभिभावक आहत हैं।
- इससे पहले कैरो के इस झारखंड आवासीय विद्यालय का संचालन कुडू में होता था। जिसके बाद कुछ महीनों से विद्यालय का संचालन कैरो-विराजपुर सीमा पर हो रहा है।
- विद्यालय में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण बालिकाओं सहित शिक्षकों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ती है। बालिकाओं को विद्यालय के बगल स्थित कुआं या नदी के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है।
पुल निर्माण कार्य सुस्त, नदी पार कर जाना पड़ता है विद्यालय
कैरो-विराजपुर सीमा पर स्थित झारखंड आवासीय विद्यालय में पानी के अलावे अन्य समस्याएं भी हैं। विद्यालय आने-जाने के लिए विद्यार्थी, शिक्षक व अभिभावकों को नदी पार होकर जाना पड़ता है।
हालांकि, विद्यालय जाने के रास्ते में पड़ने वाली नदी में पुल निर्माण का कार्य प्रगति पर है। लेकिन पुल का निर्माण कार्य काफी सुस्त गति से चल रहा है। बिना संसाधनों के ही आनन-फानन में भवन निर्माण कर दिया गया है। जहां वर्तमान में विद्यालय का संचालन हो रहा है।
दो महीने पूर्व पानी की भीषण समस्या के कारण कुछ दिनों के लिए विद्यालय छुट्टी दे दी गई थी। जिसके बाद विद्यालय का संचालन फिर से शुरू हुआ है। पानी के अभाव में अभिभावक भी काफी चिंतित रहते हैं।
झारखंड आवासीय विद्यालय में कक्षा छह से 12वीं तक कि पढाई होती है। वहीं 350 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए नौ शिक्षक हैं। जिसमें कुछ शिक्षक घंटा आधारित स्केल पर कार्यरत हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी सिफर है।
मुखिया सहित विभागीय अधिकारियों को पानी की समस्या को ले मौखिक व लिखित रूप से अवगत कराया गया है। बावजूद अभी तक इस पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फिलहाल, बाहर के कुएं से मोटर लगाकर पानी की व्यवस्था की जा रही है।-सीमा कुमारी, वार्डेन, झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय कैरो
इस संबंध में प्रतिनिधियों के अलावे सरकारी बैठक में कई बार जानकारी दी गई है, परंतु अभी तक इस पर पहल नहीं की गई है।-दिनेश साहू, अध्यक्ष, विद्यालय प्रबंधन समिति, झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय कैरो
विद्यालय में पानी की समस्या है। विद्यालय परिसर में बोरिंग कराई जा चुकी है। लेकिन, कोई बोरिंग सक्सेस नहीं हुई। समस्या को लेकर पत्राचार किया गया है। शीघ्र ही नया बोरिंग कराते हुए विद्यालय में पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।-अरविंदा कुमारी, प्रभारी बीईईओ, कैरो प्रखंड
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