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    Ranchi News: सुरकाई जलप्रपात प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, जानिए क्यों विकास से वंचित है वाटरफॉल

    लातेहार जिले के महुआडांर में स्थित सुरकाई जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। बारिश के बाद इसकी खूबसूरती और बढ़ गई है जिससे पर्यटक आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि सरकारी अनदेखी के कारण यह जलप्रपात विकास से वंचित है। जर्जर रास्तों के कारण पर्यटकों को यहाँ तक पहुँचने में कठिनाई होती है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने सरकार से सड़क की मरम्मत कराने की मांग की है।

    By Utkarsh Pandey Edited By: Rajesh Kumar Updated: Wed, 20 Aug 2025 03:19 PM (IST)
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    वर्षा ने बढ़ाई सुरकई फाल की खूबसूरती, दूर तक सुनी जा रही आवाज। जागरण

    जागरण संवाददाता, महुआडांर (लातेहार)। जंगलों, पहाड़ों और नदियों से आच्छादित महुआडांर को प्रकृति ने तमाम प्राकृतिक उपहारों से नवाजा है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद प्रखंड के ओरसापाठ पंचायत अंतर्गत सुरकाई जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बन रही है।

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    जलप्रपात के आसपास हरे-भरे पहाड़ भी इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। जंगलों में हुई बारिश के कारण जलप्रपात का जलस्तर बढ़ गया है और पानी का बहाव तेज हो गया है। इसकी खूबसूरती को देखने के लिए स्थानीय पर्यटक पहुंच रहे हैं। सरकारी उपेक्षा के कारण सुरकाई जलप्रपात विकास से वंचित है।

    ओरसापाठ वन क्षेत्र अंतर्गत घने जंगलों के बीच यह जलप्रपात चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है। एक ही धारा में गिरने वाले झरनों में सुरकाई घाघरी जलप्रपात काफी महत्वपूर्ण है। इसकी धारा लगभग 250-300 फीट की ऊंचाई से गिरकर एक छोटा जलाशय बनाती है, आगे नदी के रूप में बहकर बुढ़वा नदी में विलीन हो जाती है।

    इस झरने के चारों ओर साल, करम, करंज, सिरिस जैसे काष्ठीय वृक्षों और अन्य फलदार वृक्षों, जंगली फूलों और औषधीय पौधों से एक मनोरम मिश्रित वन निर्मित होता है, जहाँ बंदर, जंगली सूअर, भालू, भेड़िया, नेवला, हाथी जैसे जंगली जानवर और मोर, महुकाल आदि विभिन्न ज्ञात प्रजातियों के पक्षियों का कलरव एक दुर्लभ प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न करते हैं। झरने की कलकल ध्वनि दूर से ही सुनाई देती है, जो गंतव्य तक पहुँचने के रोमांच और उत्साह को बढ़ा देती है।

    इसकी सुंदरता और झरने की कलकल ध्वनि पर्यटकों को आकर्षित करती है, लेकिन यहाँ तक पहुँचने का जर्जर मार्ग मूड खराब कर रहा है। बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन है। क्योंकि मार्ग दिखाने के लिए पहुँच मार्ग के लिए कोई दिशा सूचक बोर्ड या बोर्ड नहीं लगाया गया है।

    इसके बावजूद स्थानीय लोगों की मदद से पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं। पर्यटकों का कहना है कि यह एक पर्यटन स्थल है, लेकिन यहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन होता जा रहा है। पर्यटकों का कहना है कि यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। लेकिन जर्जर सड़क के कारण यहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन है, यात्रा बोझिल होती जा रही है।

    पांच साल से नहीं हुआ सड़क मरम्मत कार्य

    वन आरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहाँ पक्की सड़कों के निर्माण पर रोक है। जिसके कारण सड़क की मरम्मत केवल मिट्टी या गिट्टी से की जाती है, लेकिन पिछले 5 सालों से मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। जिसके कारण ओरसा मुख्य मार्ग के बाद झरने तक पहुँचने वाला पहुँच मार्ग इतना खराब हो गया है कि उस पर पैदल चलना भी मुश्किल है।

    इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी वन पदाधिकारी कुंवर गंझू ने बताया कि धन के अभाव में उनकी नियुक्ति के बाद से सड़क की मरम्मत नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही रास्ता दिखाने के लिए एक दिशा-निर्देश बोर्ड लगाया जाएगा। पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने सरकार से इस सड़क की तुरंत मरम्मत करवाने की माँग की है, ताकि लोगों को यहाँ आने में सुविधा हो सके।