नववर्ष पर बुला रही है पहाड़ों की रानी
नेतरहाट को पहाड़ी की रानी कहा जाता है। यहां आने के बाद लगता है चारों तरफ बस आकाश ...और पढ़ें

नेतरहाट को पहाड़ी की रानी कहा जाता है। यहां आने के बाद लगता है, चारों तरफ बस आकाश ही आकाश और नीचे घाटी। ऐसे सुंदर, सुरम्य वातावरण में सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए काफी लोग आते हैं। हर दिन यहां गुलजार रहता है। नए साल पर तो भीड़ यहां अचानक बढ़ जाती है। रहने-खाने की सुविधा के कारण भी अब पर्यटक यहां आते हैं। यहां की खूबसूरती को निहारते हैं। यहां तक पहुंचने का जो रोमांच है, वह मसूरी से तनिक भी कम नहीं। नेतरहाट लातेहार जिले में दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर स्थित है। साल, सागवान, सखुआ, बांस के घने जंगल इसकी पहचान है।
सनसेट व सनराइज के लिए विश्व विख्यात :
नेतरहाट का सनसेट व सनराइज देखने के लिए देश भर से पर्यटक आते हैं। फिलवक्त राज्य समेत विभिन्न देशों से आए पर्यटकों की भीड़ यहां दिन भर देखने को मिल रही है।
ये हैं यहां के खास स्थान :
नेतरहाट आवासीय विद्यालय, मैग्नोलिया प्वाइंट, नासपति बागान, अपर घघरी, लोदफॉल, शैले हाउस, पलामू बंगला आदि स्थानों की सुंदरता नेतरहाट की खुबसूरती मे चार चांद लगा देती है। यहां पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चोटियों व खाइयों से विहंगम ²श्यों की सुंदरता देखते ही बनती है।
3761 फीट की ऊंचाई पर है नेतरहाट :
यहां की वादियां में चलने वाली ठंडी हवा मन को झकझोर देती है। समुद्रतल से 3761 फीट की ऊंचाई पर बसे नेतरहाट की वादियों मे बस जाने का मन करता है। वहीं नेतरहाट के समीप स्थित महुआडांड़ के जंगल में सुग्गा फॉल जलप्रपात के कलकलपानी की झंझनाहट जंगलों की चुप्पी को तोड़ मन मोह लेती है।
ऐसे पहुंचे नेतरहाट :
रांची से 147 किमी की दूरी पर नेतरहाट स्थित है। रांची से सड़क मार्ग के द्वारा छोटे वाहन से कुडू लोहरदगा होते हुए आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सनसेट स्थान का नाम मैग्नोलिया प्वाइंट :
नेतरहाट से मैग्नोलिया प्वाइंट की दूरी लगभग 10 किमी है। यहां सनसेट का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई पड़ता है। डूबते सूरज के अद्भुत नजारे और उसकी सुनहरी रोशनी से सुनहारा होता असमान के सुंदर नजारे को देखने के लिए पर्यटक सनसेट प्वाइंट पर समय से पहले ही जमा होने शुरू हो जाते हैं। यह प्वाइंट एक ब्रटिश लड़की मैग्नोलिया की प्रेम कहानी के लिए भी जाना जाता है। जो एक चरवाहे की बांसुरी की धुन से प्रेरित होकर उससे प्रेम करने लगी थी। पिता के विरोध करने पर उसने यहां से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। उसी के नाम पर इस सनसेट प्वाइंट का नाम मैग्नोलिया प्वाइंट भी पड़ा।
सालों भर आते हैं सैलानी :
यहां पर यूं तो सालों भर सैलानियों का आना-जाना होता है, लेकिन नवंबर से मार्च तक देश-विदेश के सैलानी यहां की मनोरम छटा देखने के लिए इंतजार करते हैं। नववर्ष के समय में यहां के होटल और रेस्टोरंट में काफी भीड़ बढ़ जाती है। सैलानी यहां की मनोरम वादियों का आंनद लेने के लिए काफी दिनों तक यहां समय बिताते हैं। इसके कारण यहां के होटल एवं रेस्टोरंट मालिकों की चांदी हो जाती है।

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