Latehar: बेलरस, उड़द घोल व कच्चे लाह से बने रामजानकी मंदिर ने पूरे किए सौ साल,मंदिर की नक्काशी करती है आकर्षित
इन दिनों लातेहर के रामजानकी मंदिर में राज्य भर के अलावा दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है। इसका कारण है प्रखंड में स्थित श्रीराम जानकी ...और पढ़ें

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार: अति नक्सल प्रभावित लातेहार में कभी नक्सलियों की सुरक्षित शरणस्थली के रूप में कुख्यात रहे हेरहंज में इन दिनों राज्य भर के अलावा दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है। इसका कारण है प्रखंड में स्थित श्रीराम जानकी मंदिर के निर्माण का एक सौ वर्ष पूरा हो जाना।
झारखंड और बिहार के कोने-कोने से आते हैं दर्शनार्थी
मंदिर निर्माण का एक सौ वर्ष पूर्ण हो जाने से लोगों में भारी उत्साह है। खास बात यह है कि मंदिर में एक सौ वर्ष पूर्व की गई नक्काशी और तराशे हुए पत्थर आज भी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। चैत्र नवरात्र और रामनवमी को लेकर पूजन हेतु रांची, चतरा, पलामू, गढ़वा, गया, पटना, औरंगाबाद, बेगुसराय, इलाहाबाद, सासाराम समेत विविध स्थानों से श्रद्धालु रोजाना दर्शन व पूजन के लिए आ रहे हैं।
एक सौ साल पहले पांच वर्षों तक लगातार कार्य से पूर्ण हुआ था मंदिर
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण बेल के रस, उरद के घोल और कच्चे लाह से की गई है। इसके अलावा इसमें कुछ भी शामिल नहीं किया गया है। हेरहंज प्रखंड मुख्यालय के पास स्थित श्री रामजानकी मंदिर का निर्माण हेरहंज के जमींदार स्व. बहादुर शाह की धर्मपत्नी यशोदा कुमारी ने करवाया था।
भक्तों की मनोकामना होती है पूरी
इस मंदिर के निर्माण में लगभग पांच वर्षों का समय लगा। मंदिर के पुजारी पं. अखिलेश ने बताया कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आया, उसकी मनोकामना पूर्ण हुई है। हेरहंज मंदिर के ठीक सामने मंदिर परिसर की खाली पड़ी जमीन पर पौष एकादशी शुक्ल पक्ष को पशु मेला भी लगता है।
रोजाना मंदिर में तीन बार लगाया जाता है भोग
प्रतिदिन यहां पर तीन बार भगवान को भोग चढ़ाया जाता है। मंदिर राजधानी रांची 130 किमी और पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से 70 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर के गर्भ गृह में श्री राम दरबार, राधा कृष्ण, सूर्यदेव, लक्ष्मी नारायण, शिव-पार्वती और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। इसके साथ ही गर्भ गृह के मुख्य द्वार पर पक्षी महाराज गरुड़ की प्रतिमा भी है।
छठपूजा और और वैवाहिक कार्य के लिए भी आते हैं श्रद्धालु
मंदिर निर्माण में उपयोग में लाए गए पत्थर और जिस कुएं से पानी का उपयोग किया गया वो आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है। मंदिर परिसर में ही विवाह मंडप का निर्माण कुठ साल पहले बनाया गया था, जहां दूर दराज से आकर लोग वैवाहिक कार्य कराते हैं।
इसके अलावा मंदिर परिसर के समीप ही मंदिर की जमीन में बने तालाब में व्रती छठपूजा करते हैं। साथ ही इस तलाब से ग्रामीण अपनी खेतों में सिंचाई आदि का भी कार्य करते हैं।
चतरा लोकसभा के सांसद सुनील सिंह कहते हैं कि मैं खुद भी मंदिर में दर्शन पूजन के लिए गया हूं। ग्रामीण मुझे सुझाव दें, सबके सहयोग से इस मंदिर के विकास हेतु अपने स्तर से यथासंभव प्रयास करूंगा।

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