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    जैक ने बढ़ाया मैट्रिक-इंटर परीक्षा शुल्क, 25% तक की वृद्धि से अभिभावक परेशान, भाजपा ने की वापसी की मांग

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 02:52 PM (IST)

    झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने मैट्रिक और इंटर बोर्ड परीक्षा 2026 के लिए परीक्षा शुल्क में 25% तक की वृद्धि की है। इस फैसले से लगभग 7.5 लाख छात्र-छात्राएं प्रभावित होंगे। छात्राओं के लिए मैट्रिक शुल्क 1680 रुपये तक और इंटर शुल्क 1900 रुपये तक हो गया है। भाजपा ने इस वृद्धि का विरोध किया है और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है, क्योंकि इससे गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

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    जैक ने बढ़ाया मैट्रिक-इंटर परीक्षा शुल्क

    संवाद सूत्र, बरवाडीह (लातेहार)। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने वर्ष 2026 की मैट्रिक एवं इंटर बोर्ड परीक्षाओं के लिए परीक्षा शुल्क में व्यापक वृद्धि कर दी है। मंगलवार को जारी अधिसूचना में विभिन्न श्रेणियों के परीक्षार्थियों के लिए फीस में औसतन 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। 

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    राज्य भर में हर वर्ष लगभग 7.50 लाख छात्र-छात्राएं इन परीक्षाओं में शामिल होते हैं। जैक द्वारा जारी संशोधित शुल्क संरचना के अनुसार मैट्रिक स्तर पर छात्राओं को अब 980 से 1680 रुपये तक फीस देनी होगी। 

    इंटर के लिए 1100 से 1900 रुपये चार्ज

    सामान्य एवं ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों के लिए यह राशि 1180 से 1680 रुपये तक तय की गई है। वहीं इंटर परीक्षार्थियों की बात करें तो छात्राओं के लिए परीक्षा शुल्क 1100 से 1900 रुपये और छात्रों के लिए 1400 से 1900 रुपये निर्धारित किया गया है। 

    स्वतंत्र परीक्षार्थियों की श्रेणी में सर्वाधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आरक्षित वर्गों- ओबीसी, एससी एवं एसटी- के लिए एक समान शुल्क का प्रावधान किया गया है। शिक्षा विभाग ने इसे वार्षिक बजट में वृद्धि का हिस्सा बताया है, परंतु इस निर्णय का सीधा असर लाखों अभिभावकों पर पड़ने वाला है। 

    एक साथ परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी

    हाल के वर्षों में परीक्षा शुल्क में इतनी बड़ी वृद्धि एक साथ नहीं की गई थी। इधर, परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। 

    फीस बढ़ोतरी को वापस करने की मांग

    भाजपा नेता एवं जिला सांसद प्रतिनिधि कन्हाई सिंह ने राज्य सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने कहा कि महंगाई से जूझ रहे परिवारों पर सरकार ने एक और बोझ डाल दिया है। 

    जब ग्रामीण और गरीब परिवार बच्चों की पढ़ाई किसी तरह जारी रख पा रहे हैं, तब परीक्षा शुल्क में इतनी भारी वृद्धि असंवेदनशील निर्णय है। सरकार बताए कि शिक्षा के नाम पर वसूली क्यों की जा रही है? 

    कन्हाई सिंह ने यह भी कहा कि अचानक बढ़ी हुई फीस के कारण कई छात्र-छात्राएं परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित हो सकते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग की है, साथ ही शिक्षा व्यवस्था को आर्थिक बोझ से मुक्त रखने की बात कही। 

    सांसद प्रतिनिधि दीपक राज ने भी इस निर्णय पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में लोग खुद संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में परीक्षा शुल्क बढ़ाना उचित नहीं है। शिक्षा को सुलभ बनाना सरकार की जिम्मेदारी है, न कि कठिन। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार फैसला वापस नहीं लेती तो यह लाखों बच्चों के भविष्य पर सीधा असर डालेगा।