बिहार विधानसभा के 25 सीटों पर आदिवासी मतदाता प्रभावशाली, इन पर जीत के लिए भाजपा ने बनाई रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव में जिले के भाजपा के नेता व कार्यकर्ता भी अहम भूमिका निभाएंगे। पार्टी की नजर आदिवासी वोट बैंक पर भी है। बिहार में भले ही एसटी आरक्षित सिर्फ दो सीटें हैं लेकिन करीब 25 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी मतदाता प्रभावशाली हैं। इन्हीं सीटों पर झारखंड के आदिवासी नेताओं को उतारा जाएगा। अविभाजित बिहार के समय से ही आदिवासी राजनीतिक मुद्दा रहे हैं।

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा) । बिहार विधानसभा चुनाव में जिले के भाजपा के नेता व कार्यकर्ता भी अहम भूमिका निभाएंगे।
पार्टी की नजर आदिवासी वोट बैंक पर भी है। बिहार में भले ही एसटी आरक्षित सिर्फ दो सीटें हैं, लेकिन करीब 25 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी मतदाता प्रभावशाली हैं।
इन्हीं सीटों पर झारखंड के आदिवासी नेताओं को उतारा जाएगा। अविभाजित बिहार के समय से ही आदिवासी राजनीतिक मुद्दा रहे हैं और झारखंड से सटे संताल परगना की जनजातियां जमुई, बांका, भागलपुर, पश्चिम चंपारण, कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जैसे जिलों में बड़ी संख्या में निवास करती हैं।
महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले ही वोट अधिकार यात्रा में शामिल होकर बिहार चुनाव में सक्रियता का संकेत दे चुके हैं।
अन्य सीटों के लिए भी खासकर बिहारी मूल के भाजपाइयों की पार्टी ने सूची तैयार की है, जिसके तहत रांची, जमशेदपुर, कोडरमा सहित झारखंड के विभिन्न शहरों से नेता और कार्यकर्ता दुर्गापूजा के बाद बिहार के चुनावी प्रवास पर जाएंगे।
इसके लिए जिलाध्यक्षों से नेताओं और कार्यकर्ताओं की सूची मंगाई गई है। वहीं आदिवासी बहुल सीटों पर झारखंड भाजपा के आदिवासी नेता भी प्रचार करेंगे।
भाजपा जिलाध्यक्ष अनूप जोशी ने कहा कि चुनाव अभियान को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए कोडरमा, साहिबगंज और देवघर जैसे जिलों में समन्वय केंद्र खोले जाएंगे, जहां से झारखंड के भाजपाइयों की बिहार में गतिविधियों का संचालन होगा।
कोडरमा जिले में खुलने वाले भाजपा समन्वय केंद्र में वैकल्पिक व्यवस्था करने की जिम्मेदारी जिलाध्यक्ष अनूप जोशी और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नीतेश चंद्रवंशी को दी गई है।
झारखंड के कई जिलों में बिहारी मूल के लोगों की अच्छी-खासी संख्या है, जो आज भी पैतृक घरों से जुड़े हैं और बिहार आते-जाते रहते हैं। पार्टी इन सबका उपयोग चुनाव में करेगी।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि हाल ही में बिहार व झारखंड के संगठन महामंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें झारखंड के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिहार चुनाव में उतारने की रणनीति बनी।
सीमावर्ती जिलों के अध्यक्षों को पड़ोस की विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी, जबकि बिहारी मूल के आबादी बहुल शहरों से भाजपा नेताओं को बिहार भेजा जाएगा।
भाजपा भी उनके मुकाबले के लिए झारखंड के आदिवासी नेताओं को मैदान में उतारकर काउंटर करेगी। झारखंड व बिहार के नौ जिलों की सीमाएं आपस में मिलती हैं।
सड़क मार्ग से कोडरमा का बागीटांड़ पार करते ही नवादा जिला शुरू हो जाता है, वहीं रेलमार्ग से गझंडी के बाद गुरपा-पहाड़पुर इलाका बिहार की सीमा में आता है। ऐसे में सीमावर्ती इलाकों में दोनों खेमों के कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत झोंकेंगे।
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