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    Jharkhand News: इस बार हरितालिका तीज को चार शुभ योगों में महिलाएं रखेंगी उपवास, जानें कितना फलदायी है इस बार का व्रत

    भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाने वाला Haritalika Teej व्रत इस वर्ष 26 अगस्त सोमवार को रखा जाएगा। यह पर्व अखंड सौभाग्य दाम्पत्य सुख और मंगलकामनाओं की प्राप्ति के लिए महिलाएं एवं कुंवारी कन्याएं श्रद्धा-भक्ति से करती हैं। इस बार तीज व्रत के दिन चार विशिष्ट योगों -सर्वार्थसिद्धि शोभन गजकेसरी और पंचमहापुरुष योग का अद्भुत संयोग बन रहा है।

    By Arvind Choudhary Edited By: Kanchan Singh Updated: Thu, 21 Aug 2025 05:47 PM (IST)
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    तीज व्रत के दिन चार विशिष्ट योगों -सर्वार्थसिद्धि, शोभन, गजकेसरी और पंचमहापुरुष योग का अद्भुत संयोग बन रहा है।

    गजकेसरी योग में होगा पूजन, 27 को पारण

    संवाद सहयोगी जागरण,झुमरीतिलैया। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाने वाला Haritalika Teej व्रत इस वर्ष 26 अगस्त, सोमवार को रखा जाएगा। यह पर्व अखंड सौभाग्य, दाम्पत्य सुख और मंगलकामनाओं की प्राप्ति के लिए महिलाएं एवं कुंवारी कन्याएं श्रद्धा-भक्ति से करती हैं।

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    इस बार तीज व्रत के दिन चार विशिष्ट योगों -सर्वार्थसिद्धि, शोभन, गजकेसरी और पंचमहापुरुष योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।  गजकेसरी योग को विशेष फलदायक माना गया है।

    शहर के पंडित रामप्रवेश पांडेय के अनुसार, ऐसी शुभ ग्रहीय स्थिति लंबे समय बाद बन रही है, जो व्रतधारियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। पूजन का मुहूर्त भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त की दोपहर 12:34 बजे प्रारंभ होकर 26 अगस्त की दोपहर 1:54 बजे तक रहेगी।

    उदयातिथि के अनुसार तीज व्रत 26 अगस्त को ही रखा जाएगा। पंडित रामप्रवेश पांडेय ने बताया कि जिन परंपराओं में तृतीया तिथि के अंतर्गत ही तीज पूजन का विधान है, वे 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से पहले पूजन करें।

    हालांकि, कुछ मान्यताओं के अनुसार, उदयकाल में प्राप्त तिथि यदि मध्याह्न के बाद समाप्त हो रही हो तो सूर्यास्त तक उस तिथि का मान रहता है। अतः पूजन कार्य सूर्यास्त से पूर्व कर लेना उत्तम रहेगा। 27 अगस्त को व्रत का पारण हरितालिका तीज व्रत का पारण 27 अगस्त को चतुर्थी तिथि में किया जाएगा।

    ऐसे करें पूजा-अर्चना 

    पंडित रामप्रवेश पांडेय के अनुसार पूजन के लिए मिट्टी, रजत या स्वर्ण धातु से निर्मित शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजन करें। इसके साथ ही श्रीगणेश की भी विधिपूर्वक आराधना की जाती है। नैवेद्य में सूखा मेवा, ऋतुफल, मिष्ठान्न अर्पित किए जाते हैं।

    पूजन के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा का श्रवण करें। रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन एवं देवी-देवताओं की महिमा का गायन करना अत्यंत पुण्यदायक होता है। इस प्रकार, इस वर्ष हरितालिका तीज पर्व विशेष शुभ संयोगों के बीच, श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाएगा।