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    अब ट्रेनें नहीं होंगी लेट, गझंडी से गुरपा तक रेलवे ट्रैक पर स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली शुरू

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 10:05 PM (IST)

    गझंडी से गुरपा तक 22 किलोमीटर घाट सेक्शन में स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली लगाने के लिए 11.35 से 12.35 तक एक घंटे का ब्लाक लिया गया। इस दौरान अप और डाउन लाइन में ट्रेनों का परिचालन रुक-रुककर हुई। अप लाइन में गझंडी में हटिया पटना एक्सप्रेस तथा अन्य स्टेशनों पर मालगाडि़यों को रोका गया।

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    गझंडी से गुरपा तक रेलवे ट्रैक पर स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली शुरू

    संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा)। गझंडी से गुरपा तक 22 किलोमीटर घाट सेक्शन में स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली लगाने के लिए 11.35 से 12.35 तक एक घंटे का ब्लाक लिया गया।

    इस दौरान अप और डाउन लाइन में ट्रेनों का परिचालन रुक-रुककर हुई। अप लाइन में गझंडी में हटिया पटना एक्सप्रेस तथा अन्य स्टेशनों पर मालगाडि़यों को रोका गया।

    गुरपा से गुझंडी के बीच सिग्नलिंग प्रणाली बंद रहने से 16 स्थलों पर अस्थायी टेंट बनाकर परिचालन के कार्य को कागजों के जरिये आवाजाही जारी रखी गई।

    इसके लिए अस्थायी कंट्रोल रूम बनाने के साथ टेलीफोन की सुविधा बहाल की गई थी ताकि स्टशनों से सीधा संपर्क रखा जा सके। गझंडी स्टेशन पर स्टेशन प्रबंधक विकास चंद यादव, टीआइ अरविंद सुमन की देखरेख में कार्य हुआ।

    गुरपा में टीटाई एनके सिन्हा एवं अन्य स्टेशनों पर धनबाद के टीआइ नवीन कुमार, प्रार्थ कुमार, अभय कुमार, आलोक सिन्हा व अन्य की टीम कार्य में लगी रही।

    सिग्नल प्रणाली के आधुनिकीकरण की वजह से अब ट्रेनों की लेटलतीफी नहीं होगी, छोटे ब्लाकों पर ट्रेनों का संचालन हो सकेगा। आटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली के बीच कम से कम चार ट्रेनें गझंडी व गुरपा के बीच चल सकती है। 

    पहले दो ट्रेनों के बीच 15 से 20 मिनट का अंतराल रखा जाता था। ऐसे में आटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली चालू होने से समय पालन क्षमता में भी सुधार होगा।

    बताते चलें कि धनबाद रेल मंडल के गुरपा से प्रधानखंटा लगभग 208 किलोमीटर सिग्नल प्रणाली का कार्य 21 मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

    इस परियोजना के तहत कवच प्रणाली भी प्रगति पर है, जो ट्रेनों के परिचालन को अधिक सुरक्षित बनाएगा। यह तकनीक दुर्घटनाओं को रोकने में सहायक होगी और यात्री सुरक्षा का नया मापदंड भी स्थापित होगा।

    दिल्ली-हावड़ा रूट पर रेलवे की तैयारी 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की है। इसके लिए ट्रैक के दोनों ओर दीवार बनाया गया है ताकि मवेशी या इंसान ट्रैक पर नहीं आ सके।

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