Jharkhand: पिकनिक के मौसम में जल प्रपातों की सुरक्षा भगवान भरोसे, इमरजेंसी में मोबाइल नेटवर्क भी दे देता धोखा
कोडरमा में पिकनिक सीजन शुरू हो गया है, लेकिन जलप्रपातों जैसे स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था अपर्याप्त है। वृंदाहा जलप्रपात में छेड़खानी की घटना के बाद प्र ...और पढ़ें

कोडरमा के जलप्रपातों पर सुरक्षा के इंतजाम भगवान भरोसे।
संवाद सहयोगी, जागरण कोडरमा। साल 2025 की विदाई और नए साल के स्वागत का उल्लास कोडरमा जिले में चारों ओर दिखाई देने लगा है। जिले के प्राकृतिक स्थलों और जलप्रपातों पर पिकनिक का सीजन पूरी तरह परवान चढ़ चुका है, लेकिन इस खुशी के बीच एक चिंताजनक तस्वीर भी उभर कर सामने आई है।
जिले के जंगली और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्थित पिकनिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था की भारी कमी है। इन जगहों पर पर्यटकों की सुरक्षा पूरी तरह राम भरोसे है, जिससे आम जनता के बीच डर और चिंता का माहौल है। प्रशासन की सुस्ती के कारण अब पर्यटकों को खुद की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ही उठानी पड़ रही है।
वृंदाहा में हुई घटना ने खड़ा किया बड़ा सवाल
अभी हाल ही में जरगा पंचायत स्थित वृंदाहा जलप्रपात में जो कुछ हुआ, उसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। वहां पिकनिक मनाने पहुंचे छात्र-छात्राओं के साथ कुछ मनचलों ने न केवल छेड़खानी की, बल्कि उनके अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने की धमकी भी दी। अपराधियों ने इस धमकी के जरिए छात्र-छात्राओं से पैसे ऐंठने की कोशिश की।
यह घटना उस वक्त हुई जब पर्यटन स्थलों पर भारी भीड़ उमड़ रही है। हालांकि, घटना के बाद प्रशासन ने अलर्ट मोड लागू करने की बात कही है, लेकिन जानकारों का कहना है कि यह कदम बहुत देरी से उठाया गया है।
नेटवर्क और दूरी बनी सुरक्षा की बड़ी चुनौती
कोडरमा के ज्यादातर चर्चित पिकनिक स्थल जैसे वृंदाहा, पेट्रो, पंचखेरो और जामू खाड़ी जंगलों के बीच बसे हैं। इन जगहों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वहां आम लोगों की आवाजाही कम रहती है और मोबाइल नेटवर्क भी बेहद कमजोर रहता है।
नेटवर्क न होने की वजह से किसी भी आपात स्थिति या अप्रिय घटना के दौरान मदद के लिए पुलिस या परिजनों से संपर्क करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। वृंदाहा और पेट्रो जैसे इलाकों में यह समस्या सबसे अधिक है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं।
दस्तावेजों तक सीमित रह गई सुरक्षा समितियां
पर्यटक स्थलों की देखरेख और वहां सुरक्षा के माहौल को बेहतर बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर ग्रामीण पर्यटन विकास समितियों का गठन किया गया था। उम्मीद थी कि स्थानीय ग्रामीणों की भागीदारी से इन स्थलों पर अनुशासन बना रहेगा और पर्यटकों को सहायता मिलेगी, लेकिन वर्तमान में ये समितियां पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रही हैं।
तिलैया डैम जैसे कुछ चुनिंदा स्थलों को छोड़ दें, तो बाकी जगहों पर साल भर सुरक्षा का कोई ठोस इंतजाम नहीं रहता। प्रशासन केवल 25 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच ही पुलिस बल और दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करता है, जबकि पिकनिक का दौर दिसंबर की शुरुआत से ही शुरू हो जाता है।
पर्यटन की साख पर लग सकता है बट्टा
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रशासन ने इन स्थलों पर नियमित निगरानी और सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की, तो कोडरमा के पर्यटन की साख खराब हो सकती है। लोग डर के मारे इन खूबसूरत वादियों से दूरी बनाने लगेंगे। अगर इन स्थलों को वास्तव में पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना है, तो वहां केवल मौसमी सुरक्षा के बजाय साल भर सुरक्षा गार्डों की तैनाती और
पुलिस पेट्रोलिंग सुनिश्चित करनी होगी। जब तक व्यवस्था मजबूत नहीं होती, तब तक पर्यटकों को समूह में रहने और सुनसान रास्तों से बचने की सलाह दी जा रही है।
पर्यटकों के लिए Self-Safety Tips
- अकेले या सुनसान रास्तों पर जाने से बचें।
- अंधेरा होने से पहले सुरक्षित स्थानों या मुख्य सड़कों पर लौट आएं।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत नजदीकी थाना या कंट्रोल रूम को दें।

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