Jharkhand News: जिउतिया व्रत 14 को, सूर्याेदय के साथ शुरू होगा निर्जला उपवास
मातृ प्रेम और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) इस बार 13 सितंबर से प्रारंभ होगा। पंडित जीवकांत झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार 13 सितंबर को षष्ठी तिथि समाप्त होने के बाद सुबह 1115 बजे से सप्तमी तिथि का प्रवेश होगा। यह कठिन तप व्रत 15 सितंबर को सुबह 636 बजे पारण के साथ संपन्न होगा।

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा) । मातृ प्रेम और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) इस बार 13 सितंबर से प्रारंभ होगा।
पंडित जीवकांत झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार 13 सितंबर को षष्ठी तिथि समाप्त होने के बाद सुबह 11:15 बजे से सप्तमी तिथि का प्रवेश होगा।
इस दिन व्रती माताएं ओठगन पूजा कर विशेष भोजन करेंगी। 14 सितंबर को सूर्योदय से प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि रहने पर माताएं निर्जल व्रत धारण करेंगी।
यह कठिन तप व्रत 15 सितंबर को सुबह 6:36 बजे पारण के साथ संपन्न होगा। व्रत के दौरान व्रती माताएं न तो अन्न ग्रहण करती हैं और न ही जल की एक बूंद पीती हैं।
उन्हाेंने बताया कि ‘कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति’ इस व्रत का मुख्य संदेश है, जो मातृ प्रेम को दर्शाता है। परंपरा के अनुसार व्रती माताएं डाला भरती हैं।
इसमें कुशी मटर, मिठाई, बांस, बेल, जील व झिंगली के पत्ते रखकर पूजा की जाती है। मान्यता है कि बांस को वंश, जील को जीव और बेल को सिर का प्रतीक माना जाता है।
इस व्रत में जीमुतवाहन की पूजा होती है और यह मान्यता है कि इससे संतान को लंबी आयु और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अभ्रकनगरी कोडरमा सहित पूरे प्रदेश में इस व्रत को लेकर गहरी आस्था और श्रद्धा देखी जा रही है।
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