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    Jharkhand Agriculture: मोंथा चक्रवात से धान के बाद आलू को भी नुकसान, कृषि विज्ञानी ने कहा- फसल बचाने के लिए करें ये उपाय

    By Ravindra Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 30 Oct 2025 05:40 PM (IST)

    झारखंड में मोंथा चक्रवात के चलते धान के बाद अब आलू की फसल को भी नुकसान हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसल बचाने के लिए कुछ उपाय करने की सलाह दी है, जिसमें सिंचाई और उर्वरक का सही उपयोग शामिल है। किसानों को नुकसान कम करने के लिए फसलों की निगरानी करने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।

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    कृषि विज्ञानी डा. चंचिला कुमारी ने किसानों को दी फसल बचाने की सलाह।

    संवाद सूत्र, जयनगर (कोडरमा)। बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात मोंथा के प्रभाव से दो दिनों से लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेतों में पानी भरने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

    अच्छी पैदावार की उम्मीदों के बीच अब धान की फसल पानी में डूबने लगी है, जिससे अधिकांश खेतों में धान की फसल गिर चुकी है और फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है। किसान कृष्णा कुमार ने बताया कि इस बार धान की अच्छी उपज की उम्मीद थी।

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    लेकिन भारी वर्षा ने सारी संभावनाओं पर पानी फेर दिया। वहीं राजकुमार सिंह ने कहा कि लगातार बारिश और तेज हवाओं के कारण धान की फसल पूरी तरह से गिर चुकी है। धान के साथ-साथ आलू की फसल पर भी संकट गहराने लगा है।

    आलू बीज सड़ने का खतरा बढ़ा, खेत में पानी ठहरने से बचाएं

    जिन किसानों ने समय से बुआई कर ली थी, उनके खेतों की नालियों में पानी जमा हो गया है, जिससे आलू का बीज सड़ने का खतरा बढ़ गया है। हालांकि इस बारिश से मिट्टी की नमी बढ़ी है और तालाबों व कुओं का जलस्तर सुधरा है, जिससे आगामी रबी फसलों की बुआई के लिए अनुकूल स्थिति बन रही है।

    लेकिन वर्तमान में खड़ी खरीफ फसलों और सब्जियों के खेतों में जलभराव के कारण नुकसान की आशंका बनी हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र, जयनगर की कृषि विज्ञानी डा. चंचिला कुमारी ने किसानों को सलाह दी कि वे खेतों से अतिरिक्त पानी शीघ्र निकाल लें। ताकि जड़ों में सड़न और फफूंदजनित रोग न फैले।

    खेत सूखने के बाद किसान गेहूं, चना और सरसों जैसी रबी फसलों की तैयारी में लग जाएं। साथ ही धान और सब्जियों में कीट व रोग नियंत्रण के लिए नियमित निगरानी और आवश्यकतानुसार दवाओं का छिड़काव करें। उन्होंने खेत सूखने पर नाइट्रोजन या पोटाश खाद की हल्की मात्रा डालने की भी सलाह दी है।