Koderma News: एनएच-31 पर मौत की घाटियां, जवाहर घाटी व कोडरमा घाटी में संभलकर चलाएं वाहन
Jharkhand Road Accident झारखंड के कोडरमा जिले में सड़कों पर सुरक्षित सफर आसान नहीं है। यहां एनएच-31 पर दो खतरनाक घाटियां हैं जहां सावधानी हटी दुघर्टना ...और पढ़ें

कोडरमा, (अनूप कुमार)। Road Accident in Koderma Jharkhand रांची से एनएच-33 पर सरपट चलते हुए जैसे ही एनएच-31 में हजारीबाग की सीमा बरही समाप्त कर जवाहर पुल पार करेंगे, आपका वाहन रेंगने लगेगा। यहीं से शुरू होता है कोडरमा जिला। यहां प्रवेश करते ही वाहन की गति पर अचानक विराम लग जाएगा। वर्तमान में कोडरमा जिले में सड़कों की हालत बेहद खराब है। यहां से होकर गुजरनेवाली एकमात्र एनएच-31 के चौड़ीकरण के कारण कार्य जारी है। जगह-जगह अवरोध है। यह एनएच जिले की सीमा में लगभग 45 किमी होकर गुजरती है। इसमें 30 किलोमीटर जवाहर घाटी और कोडरमा घाटी का क्षेत्र शामिल है। इन दोनों घाटियों के तीखे घुमाव के कारण यह क्षेत्र संवेदनशील है। यहां निर्माण कंपनी द्वारा सड़क निर्माण के दौरान मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है। इनकी लापरवाही की वजह से पिछले दो वर्षों में करीब आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। निर्माण कार्य के दौरान संकेतक व सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण कई सड़क हादसे हुए हैं।
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सड़कों पर कहीं स्ट्रीट लाइट का प्रबंध नहीं
यहां सड़कों पर कहीं स्ट्रीट लाइट नहीं है। मुख्य मार्ग एनएच पर घनी आबादी वाली जगह में सर्विस लेन बनाई जा रही है, लेकिन डिवाइडर पर जगह- जगह एनएच किनारे लोगों द्वारा अपनी सुविधा के अनुसार कट बना दिए गए हैं। सर्विस लेन से दोपहिया वाहन अचानक मुख्य मार्ग पर आ जाते हैं। यातायात व्यवस्था बनाने के लिए कहीं पर कर्मी तैनात नहीं रहते। हाइवे पर पशुओं का डेरा भी गुजरनेवाले वाहनों के लिए बड़ी मुसीबत है। खासकर रात के वक्त में ये बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित कर रहे हैं। मुख्य मार्ग पर हाईवा व ट्रैक्टर काफी अधिक चलते हैं। इन वाहनों में रिफ्लेक्टर नहीं होते हैं। कई वाहनों में तो बैक लाइट भी नहीं जलते हैं।
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महत्वपूर्ण स्पाटों पर संकेतक का अभाव
कोडरमा जिलांतर्गत जवाहर घाटी से जेजे कालेज तक 28 किलोमीटर निर्माणाधीन फोर लेन सड़क जेजे कालेज के पास अचानक टू लेन में तब्दील हो जाती है। इससे पहले किसी तरह का संकेतक नहीं होने से हादसे की आशंका बनी रहती है। जेजे कालेज में पढ़ाई के लिए सुबह-शाम सैकड़ों छात्र- युवा यहां जमा होते हैं। यहां बस स्टाप की भी व्यवस्था नहीं है। सवारी के इंतजार में आटो, टोटो व टेंपो सड़क पर खड़े रहते हैं। सड़क के दोनों किनारों पर सवारी के इंतजार में वाहन खड़े रहने से बाटलनेक की स्थिति बन जाती है। व्यस्त मार्ग पर छात्रों की भीड़ और दोनों ओर खड़े वाहन दुर्घटना को दावत दे रहे होते हैं।
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बाइपास के दोनों छोर पर स्थिति खतरनाक
जिले के मुख्य शहर झुमरीतिलैया बाइपास के दोनों छोर महाराणा प्रताप चौक और सुभाष चौक पर एनएच के चौड़ीकरण के कार्य को लेकर स्थिति खतरनाक हो चुकी है। यहां मुख्य मार्ग का निर्माण हो चुका है, शहर से मुख्य सड़क पर आने और चंदवारा व कोडरमा से शहर की ओर जाने के लिए न तो सही तरीके से सड़क बनाई गई है और न ही यू-टर्न की व्यवस्था है। यहां गोलंबर नहीं बनाया गया है, संकेतक भी नहीं लगे हैं। शहर की सड़क से वाहन सीधे हाइवे में प्रवेश करते हैं,इससे यह दोनों छोर एक्सीडेंटल जोन बन गया है।
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सर्विस लेन में मोटर गैरेज का संचालन
हाईवे पर झुमरीतिलैया बाईपास में बने सर्विस लेन पर कई गैरेज का संचालन किया जा रहा है। सर्विस लेन पर वाहन खड़ी कर उनकी मरम्मत की जाती है। वहीं सर्विस लेन पर लोगों ने निर्माण सामग्री भी डाल रखी है। यही नहीं सर्विस लेन और मुख्य मार्ग पर बने डिवाइडर जगह-जगह कटे हुए हैं।
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हाईवे पर आवारा पशुओं का भी डेरा
करमा, गुमो व महाराणा प्रताप चौक के पास हाईवे पर अक्सर पशु घूमते रहते हैं। कई बार ये आपस में लड़ते हुए दोपहिया वाहनों व राहगीरों को अपनी चपेट में ले लेते हैं। गुमो में रात में भी हाईवे पर गाय व बैल बैठे रहते हैं। हाईवे से महतो आहरा के पास आरागारो होते हुए चौपारण, गझंडी, चंदवारा थाना के पास केटीपीएस फोर लेन की कनेक्टिविटी बेहद खराब है। गझंडी रोड में कई इंडस्ट्री के लिए माल लेकर भारी वाहन कंटेनर, हाईवा, ट्रेलर, टैंकर जाते हैं। हाइवा से छाई सड़क पर गिरती रहती है। इससे वायु प्रदूषण तो बढ़ता ही है, दोपहिया वाहन चालकों के लिए सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है।
एनएच पर दोनों घाटियों में तीखे घुमाव
एनएच 31 स्थित जवाहर घाटी में तीखे व घुमावदार मोड़ हैं। यहां गति सीमा व मोड़ के संकेतक नहीं लगे हुए हैं। घाटी होने के बावजूद स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। यहां घाटी में पुल का निर्माण जारी है। सड़क ही हालत बेहद खराब है। पहाड़ी से चट्टानें गिरती रहती हैं। यहां डायवर्जन संकेतक भी गलत लगा हुआ है, जो वाहन चालकों को संशय में डाल देती है। यहां हाईवे की चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। कोडरमा से बरही की ओर जाते समय हाईवे से दाईं ओर सड़क निकलती है। यहां किसी तरह का साइनेज नहीं बनाया है।
कोडरमा घाटी में चलना जरा संभलकर
झारखंड के महत्वपूर्ण एक्सीडेंटल जोन में एक है कोडरमा घाटी। एनएच-31 स्थित कोडरमा के बागीटांड़ से मेघातरी तक 30 किमी यह घाटी बिहार की सीमा तक है। घाटी की यह सड़क बेहद संवेदनशील सड़क है। हर वर्ष घाटी क्षेत्र में सर्वाधिक दुर्घटनाएं हाेती है। यहां सड़क पर गहरे गड्ढे भी हैं। पूरी घाटी में करीब 50 तीखे मोड़ हैं। इसमें दो दर्जन ब्लाइंड टर्न है। कई टर्न पर मिरर भी नहीं लगे हुए हैं। कई स्थानों पर संकेतक लगे हैं, वहीं कई जगह गलत तरीके से लगे हुए हैं। अधिकतर टर्न में सड़क की चौड़ाई कम होने से दुर्घटनाएं होती है। घाटी के नौवां माइल, जमसोती नाला के पास बनी पुलिया के किनारे गार्ड वाल टूट चुके हैं। इस रोड में रोज आठ हजार से ज्यादा हैवी वाहनों का आवागमन होता है। टर्निंग प्वाइंट में ओवरटेक में अधिकतर दुर्घटनाएं होती हैं।
कोडरमा-जमुआ-गिरिडीह मार्ग पर घनी आबादी
कोडरमा से जमुआ जानेवाले 100 किमी स्टेट हाइवे में बरियारडीह तक 30 किमी हिस्सा कोडरमा जिले में पड़ता है। यहां अधिकतर इलाके में घनी आबादी है। इस सड़क पर कई गली भी मिलती है। ऐसे में अक्सर सड़क पर अचानक वाहन व लोग आ जाते हैं। यहां संकेतक भी नहीं हैं। यही स्थिति कई स्थानों पर है। इस सड़क पर कहीं पर भी डिवाइडर लाइन नहीं है। कई स्थानों पर बड़े स्पीड ब्रेकर हैं, लेकिन संकेतक नहीं। वहीं सड़क पर कई जगह गहरे गड्ढे भी हैं।
मानक के अनुसार 200 मीटर पर संकेतक जरूरी
पथ निर्माण विभाग से रिटायर सहायक अभियंता प्रिय रंजन का कहना है कि जिले की सड़कों में काफी खामियां है। निर्माणाधीन एनएच में संकेतकों की बहुत कमी है। मानकों के अनुसार 200 मीटर पहले से संकेतक होना जरूरी है। इसका पालन नहीं हो रहा है। जगह-जगह निर्माणाधीन सड़क पर अवैध तरीके से सुविधानुसार कट बना देना खतरे को आमंत्रित करता है। निर्माण के दौरान ज्यादा सचेत होने की जरूरत है। निर्माण कार्य की जगहों पर और अधूरे निर्माण स्थलों पर पर्याप्त लाइटिंग, रिफेल्टर होनी चाहिए जिला काफी अभाव है।

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