Jharkhand Crime: मनी लांड्रिंग के नाम पर दंपती को किया डिजिटल अरेस्ट, 51 लाख की ठगी
कोडरमा में साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर एक रिटायर्ड बैंककर्मी से 51 लाख रुपये की ठगी की। फर्जी पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर ठगों ने दंपत ...और पढ़ें

रिटायर्ड बैंककर्मी को दो दिनों तक रखा हाउस अरेस्ट, तीन दिन बाद थाने पहुंचे।
संवाद सहयोगी, कोडरमा। कोडरमा थाना क्षेत्र में साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बड़ी ठगी को अंजाम दिया है। बैंक आफ इंडिया के रिटायर्ड कर्मचारी सुरेश प्रसाद गुप्ता से साइबर ठगों ने फर्जी पुलिस, फर्जी सीबीआइ अधिकारी और फर्जी कोर्ट का भय दिखाकर 51 लाख रुपये ठग लिए।
तीन दिन तक मानसिक दबाव और आनलाइन हाउस अरेस्ट में रहने के बाद पीड़ित दंपती 3 दिसंबर को थाना पहुंचे और मामला दर्ज कराया। पीड़ित के अनुसार एक दिसंबर की सुबह उन्हें दो मोबाइल फोन नंबरों से काल आया।
इसमें कालर ने खुद को दूरसंचार विभाग की अधिकारी आयशा पटेल बताया। उसने दावा किया कि उनके आधार कार्ड से नया मोबाइल फोन नंबर जारी किया गया है और उसी नंबर से दिल्ली के केनरा बैंक में खाता खुलवाकर मनी लांड्रिंग की गई है।
उसने आरोप लगाया कि इस खाते से दो माह में 6.50 करोड़ रुपये का अवैध लेन-देन हुआ है। इसके बाद लगातार तीन अलग-अलग नंबरों से काल आने लगे।
अपने को दिल्ली पुलिस और सीबीआइ अधिकारी बताने वाले ठगों ने पीड़ित दंपती को वीडियो काल पर रखते हुए कहा कि उन्हें “हाउस अरेस्ट” कर दिया गया है और वे किसी से बात नहीं कर सकते।
डर और दबाव का माहौल बनाते हुए ठगों ने पीड़ित को धमकी दी कि आदेश न मानने पर उनके खिलाफ वारंट जारी कर जेल भेज दिया जाएगा। 2 दिसंबर की सुबह पीड़ित दंपती को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये फर्जी सीबीआइ जज के सामने पेश किया गया।
जालसाजों ने उनकी बैंक राशि, गोल्ड, एफडी, शेयर आदि से जुड़ी जानकारी ले ली। इसके बाद उनसे कहा गया कि सभी एफडी तोड़कर राशि अपने खाते में जमा करो, ताकि जांच की जा सके।
दहशत में आए पीड़ित ने उसी दिन अपनी पूरी एफडी राशि अपने खाते में जमा कर दी। ठगों के निर्देश पर उन्होंने मध्यप्रदेश के सेंधवा स्थित ‘पतिमो पीएम इस्टेट्स एलएलपी’ नामक खाते में 42 लाख और 9 लाख, यानी कुल 51 लाख रुपये आरटीजीएस कर दिया।
अगले दिन जब किसी परिचित से बातचीत हुई तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ और वे थाने पहुंचे। शिकायत मिलने पर कोडरमा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव : एसपी
पुलिस अधीक्षक अनुदीप सिंह ने बताया कि जिले में लगातार साइबर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन ठग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को निशाना बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट, फर्जी लाटरी, आनलाइन जाब आफर, बैंक खाते ब्लाक होने का झांसा देना सभी साइबर ठगी के तरीके हैं। ऐसे काल या संदेशों पर भरोसा न करें।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी से वन टाइम पासवर्ड, पीआइएन, डेबिट या क्रेडिट कार्ड का सीवीवी नंबर, बैंक विवरण साझा न करें। अनजान लिंक या संदिग्ध एप बिल्कुल डाउनलोड न करें।
बैंक से संबंधित कोई भी सूचना मिलने पर सीधे आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर पर ही संपर्क करें। ठगी होने की स्थिति में तुरंत 1930 नंबर पर काल करें या साइबर क्राइम डाट गोव डाट इन पर शिकायत दर्ज कराएं ताकि राशि को फ्रीज कर कार्रवाई में तेजी लाई जा सके।
साइबर ठगों से बचाव के तरीके
- किसी को भी व्यक्तिगत या बैंक संबंधी जानकारी न दें।
- संदिग्ध फोन काल पर विश्वास न करें, तुरंत काल काट दें।
- अनजान लिंक या फर्जी वेबसाइट पर क्लिक न करें।
- फोन काल कर पुलिस, सीबीआइ या बैंक अधिकारी होने का दावा करने वालों से सावधान रहें।
- यह जान लें कि कोई भी सरकारी एजेंसी मोबाइल फोन पर काल कर जांच नहीं करतीं।
- पब्लिक वाई-फाई पर आनलाइन ट्रांजैक्शन न करें।
- मोबाइल और कंप्यूटर का साफ्टवेयर अपडेटेड रखें।
सुरक्षित डिवाइस का उपयोग करें
- आनलाइन बैंकिंग हमेशा प्राइवेट नेटवर्क पर ही करें।
- फोन में अनधिकृत स्क्रीन-शेयरिंग एप न रखें।
- बैंक खाता ब्लाक होने जैसी सूचना मिलने पर सीधे बैंक शाखा या आधिकारिक हेल्पलाइन से ही सत्यापन करें।
- ठगी का संदेह होते ही बैंक को काल कर ट्रांजैक्शन रोकने का अनुरोध करें और थाने या साइबर सेल में जानकारी दें।

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