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    मुकदमों का बोझ कम करेगा न्याय सदन: जस्टिस टाटिया

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    Updated: Sat, 04 Aug 2012 10:23 PM (IST)

    कोडरमा: न्याय सदन आनेवाले दिनों में अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करने में सहायक साबित होगा। इसी उद्देश्य से सभी जिलों में इसकी स्थापना की जा रही है। झारखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया ने शनिवार को कोडरमा व्यवहार न्यायालय परिसर में न्याय सदन के भवन का शिलान्यास के पश्चात आयोजित विधिक जागरूकता शिविर को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही।

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    उन्होंने कहा कि न्याय सदन के माध्यम से जनता को शीघ्र, सस्ता एवं सुलभ न्याय मिल सकेगा। इसके सुचारु रूप से कार्य करने पर न्यायालयों पर से अवांछित मुकदमों का बोझ घटेगा। क्योंकि अब वो जमाना चला गया जब दादा का किया हुआ मुकदमा में पोता को न्याय प्राप्त होता था। अब लोगों को त्वरित न्याय चाहिए और इसके लिए कई उपाय किये जा रहे हैं। झारखंड के विभिन्न न्यायालयों में 3 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित हैं, जिसमें आधे से ज्यादा ऐसे विवाद हैं, जिसे न्यायालय तक आना ही नहीं चाहिए था। न्याय सदन के माध्यम से इन्हीं मुकदमों को त्वरित निष्पादन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सभी को प्रयास करना चाहिए कि वास्तविक मुकदमे ही कोर्ट में आए। आपसी सहमति के आधार पर निपटारा होनेवाले केस लोक अदालत के माध्यम से सुलझाए जाएं, जिससे कोर्ट में अनावश्यक बोझ नहीं बढ़े। इसके लिए लोगों को कानूनी जानकारी देना जरूरी है, जो न्याय सदन के माध्यम से दिया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रत्येक जिले में एक करोड़ की लागत से न्याय सदन का निर्माण होना है, जिसमें कोडरमा जिला को मिलाकर कुल पांच न्याय सदन का शिलान्यास किया जा चुका है। इसे शीघ्र पुरा कराने की जिम्मेवारी स्थानीय प्रशासन की है। माननीय न्यायमूर्ति श्री टाटिया ने कहा कि भारत में किसी भी न्यायालय के न्यायाधीश जो निर्णय सुनाते हैं उसका 1/10 हिस्सा भी पूरे विश्व में नहीं सुनाया जाता है जो एक विश्व रिकार्ड है। उन्होंने अधिवक्ताओं से भी मामलों के त्वरित निष्पादन में सहयोग और सुलह योग्य मामलों को लोक अदालत और मध्यस्थता केंद्र के मामले से सुलझाने की अपील की। कोडरमा में बार-बेंच के अच्छे संबंध की भी उन्होंने तारीफ की।

    वहीं झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सह उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने जिले की खूबसूरती की चर्चा करते हुए यहां की न्याय व्यवस्था की प्रशंसा की। उन्होंने लोक अदालत की महत्ता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सह जोनल जज कोडरमा माननीय न्यायमूर्ति आरआर प्रसाद ने कहा कि न्याय सदन के माध्यम से गरीब, लाचार लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी मिलेगी। जरूरत पड़ने पर उन्हें वकील एवं कोर्ट फीस भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जब तक गरीबों को न्याय नहीं मिलेगा न्याय व्यवस्था अधूरी रहेगी। न्याय सदन के माध्यम से लोक अदालत, मध्यस्थता केंद्र, पारा लीगल वोलेंटियर आदि सभी सहायता एक जगह से ही लोगों को मिलनी शुरू हो जाएगी।

    कार्यक्रम को अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जगदीश सलूजा ने भी संबोधित किया। स्वागत भाषण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजीत प्रसाद वर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डीसी राजेश कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन एसीजेएम राकेश कुमार सिंह ने किया। मौके पर जिला जज प्रथम रामधारी यादव, एसडीजेएम रामशंकर सिंह, सीजेएम बीके सिंह, सिविल जज जूनियर डिविजन एसएस फातमी, विजय कुमार श्रीवास्तव, राजीव कुमार सिन्हा, राजेश श्रीवास्तव, प्राधिकार के सचिव उमेशानंद मिश्रा, जिला अभियोजन पदाधिकारी मो. रिजवान, एसपी शंभू ठाकुर, डीडीसी एएन पांडेय, एसी शिवेंद्र प्रसाद सिन्हा सहित सभी वरीय न्यायाधीश, पदाधिकारी, अधिवक्ता व अन्य उपस्थित थे।

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