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    Chhath Puja: लोक आस्था का महापर्व छठ की 17 नवंबर से होगी शरुआत, जानिए महिलाएं क्यों रखती हैं 36 घंटे का निर्जला उपवास

    By Ravindra kumarEdited By: Shashank Shekhar
    Updated: Tue, 14 Nov 2023 05:27 PM (IST)

    Chhath Puja 2023 17 नवंबर से महापर्व छठ प्रारंभ हो रहा है। यह व्रत भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस बार छठ महापर्व 17 नवंबर से नहाय खाय के साथ शुरू हो रही है। इस व्रत में व्रती 36 घंटों का निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत में डूबते हुए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं।

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    लोक आस्था का महापर्व छठ की 17 नवंबर से होगी शरुआत

    संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा)। लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है। छठ पर्व भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।

    चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो रही है।

    36 घंटों का निर्जला उपवास रखते हैं व्रती

    छठ व्रत के दौरान व्रती 36 घंटों का निर्जला उपवास रखते हैं। इस दौरान छठ व्रती डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उसके बाद पारण किया जाता है। नहाय खाय के दिन छठ व्रती सबसे पहले शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान करते हैं।

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    इसके बाद घर की अच्छी तरह सफाई की जाती है। नहाय खाय के दिन छठ व्रतियों के घर चने की दाल और लौकी की सब्जी और चावल प्रसाद के रूप में बनता है। ये प्रसाद शुद्ध तरीके से साफ चूल्हे पर बनाया जाता है।

    18 नवंबर को खरना है। इस दिन छठ व्रती गुड का खीर बनाकर सबसे पहले भगवान को भोग लगाते हैं, इसके बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। छठ पर्व के दौरान साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से 36 घंटे निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

    खरना के बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता

    19 नवंबर को यानी खरना के बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। गंगा जल और दूध से अर्घ्य देने की परंपरा है। 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

    मान्यता है कि छठ पूजा संतान के बेहतर स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता के लिए किया जाता है। इस बार 20 नवंबर को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। सूर्य की उपासना के बाद छठ व्रती चार दिनों के व्रत का पारण करती हैं।

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