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    Khunti: डॉक्टर के नदारद रहने से गई घायल की जान, आक्रोशितों ने अस्पताल में जड़ा ताला; सड़क पर लगा दिया जाम

    By Jagran NewsEdited By: Roma Ragini
    Updated: Sat, 04 Mar 2023 07:34 AM (IST)

    Patient died in Torpa ट्रैक्टर चालक बीरेन्द्र मांझी (52 साल) हादसे में घायल हो गए। उन्हें रेफरल अस्पताल लाया गया लेकिन अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं थे। इस कारण इलाज के अभाव में उन्होंने दम तोड़ दिया। जिसके बाद आक्रोशित लोगों ने जमकर हंगामा किया।

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    तोरपा में डॉक्टर के नदारद रहने से गई घायल की जान

    तोरपा, संवाद सूत्र। तोरपा थाना क्षेत्र के कसमार मोड़ के पास शुक्रवार सुबह एक ट्रैक्टर दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल ट्रैक्टर चालक की इलाज के अभाव में मौत हो गई। इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने रेफरल अस्पताल में ताला जड़ दिया।

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    जानकारी के अनुसार ट्रैक्टर चालक बीरेन्द्र मांझी (52 साल) को गंभीर हालत में इलाज के लिए रेफरल अस्पताल लाया गया, लेकिन अस्पताल में चिकित्सक मौजूद नहीं थे। घायल बीरेंद्र इलाज के अभाव में अस्पताल में तड़पता रहा और अंततः उसकी मौत हो गई।

    घायल की मौत से लोग आक्रोशित हो गए और अस्पताल के मेन गेट पर ताला जड़कर प्रदर्शन करने लगे। अस्पताल में ताला जड़ने के बाद आक्रोशित भीड़ ने खूंटी सिमडेगा मुख्य सड़क मार्ग को जाम कर दिया। सड़क जाम की सूचना मिलते हीं अंचलाधिकारी सच्चिदानंद वर्मा, प्रखंड विकास पदाधिकारी दयानंद कारजी, थाना प्राभारी मनीष कुमार अस्पताल गेट पहुंचे।

    25 हजार की सहायता राशि देने के बाद हटा जाम

    अधिकारियों ने सड़क पर बैठे लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन आक्रोशित ग्रामीण ड्यूटी से नदारद डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े थे। लगभग ढाई घंटे के बाद कार्यपालक दण्डाधिकारी देवेंद्र कुमार दास, बीडीओ, सीओ, थाना प्रभारी, भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता, प्रमुख रोहित सुरीन, उप प्रमुख संतोष कर के द्वारा तत्काल 25 हजार रुपये की सहायत राशि देने के बाद जाम हटा।

    कोचे मुंडा ने विस में उठाया रेफरल अस्पताल का मामला

    तोरपा रेफरल अस्पताल के डॉक्टरों के नदारद रहने और इसके कारण बीरेंद्र मांझी की मौत के मामले को विधानसभा में उठाते हुए विधायक कोचे मुंडा ने कहा कि अस्पताल से चिकित्सकों के गायब रहने का यह कोई पहला मामला नहीं है।

    विधायक ने रेफरल अस्पताल के डाक्टर मुकेश कनौजिया को बर्खास्त करने और मृतक के आश्रितों को दस लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की।

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