Khunti Chunav Result 2024: भाजपा के गढ़ में चमका'सूर्य', दो दशक बाद मिली झामुमो को बड़ी जीत
खूंटी विधानसभा सीट में बीजेपी का कब्जा रहा है साल 2005 2009 2014 और 2019 अब तक खूंटी विधानसभा सीट में चार बार चुनाव हुए हैं। चारों बार के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के नीलकंठ सिंह मुंडा ने जीत हासिल की। इस बार के चुनाव में झामुमो के राम सूर्य मुंडा ने बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाते हुए खूंटी सीट पर कब्जा कर लिया है।

डिजिटल डेस्क, खूंटी। Khunti Chunav Result 2024: झारखंड की खूंटी विधानसभा सीट शुरुआत से ही भाजपा कब्जे में रही है। साल 2005 से अब तक इस सीट से लगातार बीजेपी के नीलकंठ सिंह मुंडा विधायक चुने गए हैं। बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने के लिए इस बार झामुमो ने राम सूर्य मुंडा को मैदान में उतारा था, जिन्होंने बीजेपी के विजय रथ को रोकते हुए खूंटी सीट पर कब्जा किया। राम सूर्य मुंडा ने नीलकंठ सिंह मुंडा को 42053 वोटों से हराया।
बीजेपी का कब्जा
खूंटी विधानसभा सीट में शुरुआत से ही बीजेपी का कब्जा रहा है। साल 2005, 2009, 2014 और 2019 अब तक खूंटी विधानसभा सीट में चार बार चुनाव हुए हैं। चारों बार के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के नीलकंठ सिंह मुंडा ने जीत हासिल की है। वो 20 साल से खूंटी विधायक हैं। 2024 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने नीलकंठ सिंह मुंडा पर भरोसा जताया है, लेकिन झामुमो ने बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा दी।
खूंटी में ध्वस्त हुआ भाजपा का किला
जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का किला ध्वस्त हो गया। भाजपा के कद्दावर प्रत्याशी पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा भाजपा की इस परपंरागत सीट को बचाने में नाकाम रहे। झामुमो प्रत्याशी राम सूर्या मुंडा ने एकतरफा मुकाबले में नीलकंठ सिंह मुंडा को 42053 मतों से शिकस्त देकर इस सीट से सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया। इससे पूर्व इस सीट से लगातार पांच बार जीत हासिल कर एक कीर्तिमान स्थापित करने वाले नीलकंठ सिंह मुंडा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो प्रत्याशी सुशील पाहन को 26327 मतों से पराजित कर सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। मतगणना के पहले से लेकर अंतिम 15वें राउंड तक नीलकंठ सिंह मुंडा मुंडा एक बार भी झामुमो उम्मीदवार पर बढ़त नहीं बना सके।
खूंटी विधानसभा सीट का इतिहास
झारखंड की 81 विधानसभा क्षेत्रों में शुमार खूंटी सीट महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह खूंटी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो यह इलाका 1875 के प्रसिद्ध बिरसा आंदोलन का केंद्र था। झारखंड के क्रांतिकारी नायक बिरसा मुंडा के नेतृत्व में ब्रिटिशों के खिलाफ लंबे समय से किए गए संघर्ष के लिए यह जगह इतिहास में दर्ज है।
मान्यता है कि छोटानपुर के राजा मदरा मुंडा के बेटे सेतिया के आठ बेटे थे। मदरा के आठ बेटे रांची के दक्षिण में चले गए। उन्होंने एक गांव की स्थापना की, जिसे खूंटी नाम दिया। यहां की डोंबारी बुरु की सुरम्य पहाड़ियां हैं। कहा जाता है कि जब बिरसा मुंडा ने एक सदी पहले ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था, तब यह रक्त के साथ लाल हो गई थीं।
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