परतंत्र से लोकतंत्र भारत तक के सफर में हिदी पत्रकारिता का अतुलनीय योगदान
जामताड़ा इतिहास का स्मरण कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूं और जब हिन्दी पत्रकारित ...और पढ़ें

जामताड़ा : इतिहास का स्मरण कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूं और जब हिन्दी पत्रकारिता की बात होती है तो रोमांच से पुलकित हो जाता हूं। उपायुक्त गणेश कुमार हिंदी पत्रकारिता दिवस पर उक्त उदगार व्यक्त करते हुए पत्रकारिता के अतीत पर चर्चा करते हुए कहा कि वह दिन और परिस्थिति कैसी होगी जब पंडित जुगलकिशोर शुक्ल ने हिन्दी अखबार आरंभ करने का दुस्साहस किया। तमाम संकटों के बाद भी उन्होंने आखिरी दम तक अखबार का प्रकाशन जारी रखा। हिन्दी पत्रकारिता में मील के पत्थर के रूप में आज हम 'उदंत मार्तड' का स्मरण करते हैं। हिंदी के अलग अन्य कई भाषाओं में अखबारों का प्रकाशन हुआ लेकिन 'उदंत मार्तड' ने जो मुकाम बनाया, वह आज भी हमारे लिए आदर्श है। उपायुक्त ने कहा कि आजादी की जंग से लेकर भारत में लोकतंत्र की स्थापना तक हिदी पत्रकारिता का योगदान अतुलनीय रहा है।
डीसी ने कहा कि 30 मई,1826 के बाद से सांस्कृतिक जागरण, राजनीतिक चेतना, साहित्यिक सरोकार और दमन का प्रतिकार उक्त चार पहियों के रथ पर सवार होकर हिदी पत्रकारिता अग्रसर हुई। 30 मई का दिन एक ऐतिहासिक दिन है। इसी 30 मई, 1826 ई. को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतवर्ष की सरजमीन पर पंडित युगल किशोर शुक्ल ने कोलकाता से प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 'उदंत मार्तड' का प्रकाशन आरंभ किया गया था। उदंत मार्तड नाम, उस समय की सामाजिक परिस्थितियों का संकेतक था, जिसका अर्थ है 'समाचार सूर्य'।
अंग्रेजी हुकूमत के वह बर्बर दौर, जिसमें भारतीय जनमानस गुलामी की मानसिकता में पूर्ण दीक्षित हो चुका था, उस वक्त किसने यह कल्पना की होगी कि, 30 मई, 1826 ई. को रोपित हिदी पत्रकारिता का बीज, भविष्य में इतना बड़ा स्वरूप ग्रहण कर लेगा और कभी लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ के रूप में यह परिभाषित किया जाएगा। इस अवसर पर उपायुक्त ने तमाम हिदी पत्रकार बंधुओं को दिल से हार्दिक शुभकामनाएं दी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।