गांव स्तर पर पी पेसा एक्ट प्रभाव कारी बनाने की मांग को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा
गांव स्तर पर पी पेसा एक्ट प्रभाव कारी बनाने की मांग को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा

गांव स्तर पर पी पेसा एक्ट प्रभाव कारी बनाने की मांग को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा
संवाद सहयोगी, जामताड़ा : शुक्रवार को जय आदिवासी युवा शक्ति, सरना समिति के बैनर तले राजस्व ग्राम प्रधान संघ नाला कार्यकारिणी अध्यक्ष के नेतृत्व में मांझी, परानिक, जोग मांझी, जोग पारा निक, भोद्दो, लासेर साल, नायकी, कुड़ाम नायाकी ओर गोड़ैत ने अनुसूचित गांव में पी पेसा कानून को प्रभाव कारी बनाने को लेकर उपायुक्त फैज आक अहमद मुमताज को मांग पत्र सौंपा। मांग पत्र में दर्शाया गया है कि जिले के सभी गांव में भारतीय संविधान के पांचवी अनुसूची क्षेत्र में अनुच्छेद 243 एम के तहत निर्मित पी पेसा कानून 1996 के अंतर्गत गठित झारखंड पंचायत राज्य अधिनियम की धारा सात के (एक) व आठ के (तीन) में परंपरागत ग्रामसभा के अधिकार का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। परंपरागत ग्राम सभा के अधिकार का हो रहे उल्लंघन पर अंकुश लगाते हुए गांव स्तर पर पी पैसा कानून को प्रभाव कारी बनाने की मांग की है। यह भी दर्शाया गया है कि हम सभी परंपरागत ग्राम सभा के पदाधिकारी गण है झारखंड में अब तक कुल तीन बार भारतीय संविधान पांचवी अनुसूची क्षेत्र में अनुच्छेद 243(एम) के तहत निर्मित भी पैसा कानून 1996 के तहत पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं। विगत 10 वर्षों के दौरान अनेक सरकारी योजनाओं एवं जनसाधारण कल्याणकारी योजनाओं को हमारे गांव में लागू की गई है परंतु बहुत दुख के साथ आपके समक्ष कहना चाहते हैं कि इन सभी क्रियान्वित योजनाओं के चयन से लेकर क्रियान्वयन तक में पी पेसा कानून एवं झारखंड पंचायत राज अधिनियम में परंपरागत ग्राम सभा को प्राप्त शक्तियों एवं अधिकारों का घोर उल्लंघन किया गया है और आज भी अनवरत उल्लंघन जारी है यहां तक कि संताल समाज के मुख्य पूजा स्थल जाहिर खान की घेराबंदी मांझी थाना भवन का निर्माण आदि से संबंधित ग्राम सभा भी पंचायत सचिव या पंचायत के मुखिया के दिशा-निर्देश एवं उपस्थिति में किया जा रहा है झारखंड पंचायत राज अधिनियम की धारा आठ के (तीन) मैं ग्राम सभा की अध्यक्षता के संबंध में यह उपबंध है कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता किसी भी पंचायत प्रतिनिधि जैसे वार्ड सदस्य मुखिया पंचायत समिति सदस्य जिला परिषद सदस्य के द्वारा नहीं की जाएगी और उस क्षेत्र में परंपरा से प्रचलित रीति रिवाज के अनुसार मान्यता प्राप्त व्यक्ति जो मांझी मुंडा वाहन आदि के नाम से जाना जाता हो उसके द्वारा बैठक की अध्यक्षता की जाएगी। अब तक परंपरागत ग्राम सभा के अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं अन्य सहायक पदाधिकारी को नोट तो ग्राम सभा के संबंध में सरकारी स्तर पर सूचनाएं दी गई है और ना ही किसी परंपरागत ग्राम सभा की अध्यक्षता करने का मौका दिया गया है इसी का परिणाम है कि गांव में गंभीर संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है व्यवस्था में नीचे से ऊपर तक दलाल एवं बिचौलिए हावी हैं। राजीव हेंब्रम ने बताया जिला प्रशासन गांव स्तर पर पी पेसा एक्ट को प्रभाव कारी बनाने में अक्षम साबित होते हैं तो ग्राम स्तरीय परंपरागत पदाधिकारी उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। शिष्टमंडल में रामलाल हंसदा, राधेश्याम सोरेन, मिहिर सोरेन, शिव शंकर हंसदा, सुशील सोरेन, रसीद किस्कू, साहेब लाल हंसदा, जगन्नाथ मुर्मू, विश्वनाथ मुर्मू, बाबूधन मुर्मू, रमेश टूडू, प्रदीप सोरेन, मनसा सोरेन, बालेश्वर टूडू, बाबूलाल हंसदा, जयदेव टुडु, राज कुमार मुरमू आदि शामिल थे।
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