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    जमीन चिह्नित होने के बाद भी नहीं लग पाया स्टील प्लांट

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 29 Nov 2019 04:32 PM (IST)

    नाला (जामताड़ा) जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये के कारण एमओयू हुए वर्षो बीत जाने के बाद भी नाला प्रखंड के अफजलुपर पंचायत क्षेत्र में प्रस्तावित स्टील प ...और पढ़ें

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    जमीन चिह्नित होने के बाद भी नहीं लग पाया स्टील प्लांट

    नाला (जामताड़ा) : जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये के कारण एमओयू हुए वर्षो बीत जाने के बाद भी नाला प्रखंड के अफजलुपर पंचायत क्षेत्र में प्रस्तावित स्टील प्लांट ठंडे बस्ते में चला गया। इसके लिए तीन हजार एकड़ जमीन भी चिह्नित की गई पर अब तक प्लांट लगने का सपना पूरा नहीं हो पाया। यहां प्लांट लग जाता तो रोज हर वर्ग के मन को कचोटती बेरोजगारी व पलायन की समस्या भी मिट जाती। घर-आंगन वोट मांगने पहुंचने वालों से मतदाता प्लांट व खुद के भविष्य से जुड़े सवाल भी करेंगे। चितित मतदाता आपस में कहते भी हैं कि आखिर संतालपरगना के पिछड़ा बहुल इस क्षेत्र में उद्योग धंधा का विकास कब होगा। इस बार वे बेरोजगारी दूर करने की दिशा में कारगर पहल करनेवाले को ही समर्थन देंगे।

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    मालूम हो कि वर्ष 2006-2007 में स्टील प्लांट निर्माण के लिए करीब तीन हजार एकड़ से अधिक जमीन चिह्नित कर सरकार ने कोलकाता की ब्राह्माी इंपैक्ट कंपनी के साथ एमओयू किया था लेकिन तंत्र के दांव-पेच में फंसकर प्लांट लगने की राह और आसान नहीं हो सकी। इस वजह से स्थानीय लोगों में निराशा भी है। लोग कहते हैं कि सरकार खनिज संपदा में हरे-भरे क्षेत्र में औद्योगिक विकास कर बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा खूब करती है पर यहां जमीन मालिक जमीन देने के लिए तैयार हैं फिर भी उद्योग का विस्तार नहीं किया जा रहा है। कहते हैं कि यहां प्लांट समेत अन्य इकाई लग जाने से युवाओं को रोजगार मिलता तो दूसरी तरफ सरकार के खाते में भारी-भरकम राजस्व की राशि भी जाती। प्लांट लगने से करीब आठ हजार बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलता। जबकि उस समय अफजलपुर में प्लांट लगने की सुगबुगाहट से क्षेत्र का विकास के साथ-साथ बेरोजगार युवकों में रोजगार की उम्मीद जगी थी पर अब सभी तरफ निराशा ही निराशा है।

    बता दें कि उक्त पंचायत के पियारसोला जामबाद, खड़िकाबाद, लखनपुर, लक्षमणपुर आदि समेत कई मौजा के रैयत के अलावा करीब 2200 एकड़ सरकारी जमीन मौजूद है। खास बात यह है कि स्टील प्लांट लगाने के लिए जिला प्रशासन ने जमीन मालिक के साथ बैठक भी की थी। उस समय सभी जमीन मालिक स्टील प्लांट लगाने में जमीन देने को तैयार भी हो गए थे। जमीन की दर का निर्धारण भी हो गया था। रैयतों ने लिखित सहमति भी जता दी थी। फिर सारे मसले ठंडे बस्ते में चला गया।

    क्या कहते हैं ग्रामीण : राज्य गठन के बाद ही अन्य विकास कार्य के साथ-साथ क्षेत्र में उद्योग का लगाना बेहद जरूरी था। सरकार ने इसकी पहल भी की पर पता नहीं क्यों नाला-अफजलपुर में प्रस्तावित स्टील प्लांट अब तक चालू नहीं हो पाया। आठ हजार बेरोजगारों को इससे रोजगार मिलता। पार्टियों को इसे चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिए।

    नदियानंद घोष।

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    अब चुनाव प्रचार के दौरान पहुंचनेवाले नेताओं से पूछा जाएगा कि किस कारण से प्रस्तावित स्टील प्लांट का कार्य आगे नहीं बढ़ा। इसे चालू करवाने में वे क्या पहल किए। उद्योग विहीन इस क्षेत्र में अफजलपुर पंचायत के किसान जमीन देने के लिए तैयार है। बावजूद उद्योग का विकास नहीं हो पाया। सुकुमार बाउरी।

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    बारह वर्ष प्लांट लगने व जमीन चिह्नित होने से बेरोजगारों में काफी उम्मीद जगी थी पर अब हर तरफ निराशा है। उद्योग लगता तो इस पिछड़े इलाके के अब तक तस्वीर ही बदल जाती पर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया। वे गंभीर रहते तो सपना जरूर पूरा होता। अब भी तंत्र को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। उज्ज्वल सिंह।

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    स्टील प्लांट का सपना पूरा हो पर क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे लोगों का जीवन स्तर ऊंचा होता। गरीबी मिटने व आय का स्त्रोत बढ़ने से हर तरफ खुशहाली आती। सभी रैयत अब भी जमीन देने को तैयार हैं। सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।

    सुकुमार हांसदा, मुखिया