शिव से विवाह को पार्वती को देना पड़ा प्रेम परीक्षा
शिव से विवाह को पार्वती को देना पड़ा प्रेम परीक्षा

शिव से विवाह को पार्वती को देना पड़ा प्रेम परीक्षा
संवाद सूत्र, करमाटांड़ (जामताड़ा) : करमाटांड़ में आयोजित श्री श्री 1008 महाशिव शक्ति यज्ञ के चौथे दिन अयोध्या के कथावाचक दिव्य ज्योति शास्त्री ने शिव पुराण पर प्रवचन करते हुए कहा कि देवी पार्वती हिमनरेश हिमवान और उनकी रानी मैनावती की पुत्री हैं। पार्वती जी का विवाह भगवान शंकर से हुआ है। इन्हें पार्वती के अलावा उमा, गौरी और सती सहित अनेक नामों से जाना जाता है। माता पार्वती प्रकृति स्वरूपा कहलाती हैं। किंवदंतियों के अनुसार पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमालय नरेश के घर आए थे और उनके पूछने पर देवर्षि ने बताया कि ये कन्या सभी सुलक्षणों से संपन्न है और उनका विवाह शंकरजी से होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महादेव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए देवी पार्वती को घोर तपस्या करना होगा। अतत: शिव पार्वती का विवाह हुआ, बाद में इनके दो पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश हुए। कई पुराणों के अनुसार इनकी अशोक सुंदरी नाम की एक पुत्री भी थी। ऐसे ही एक कथा के अनुसार शंकर जी ने पार्वती के अपने प्रति प्रेम की परीक्षा लेने के लिये सप्तऋषियों को उनके पास भेजा। जिन्होंने देवी के पास जाकर यह समझाने के अनेक प्रयत्न किये कि शिव जी औघड़, अमंगल वेषधारी, जटाधारी और भूत प्रेतों के संगी हैं, इसलिए वे, उनके लिए उपयुक्त वर नहीं हैं। शिव जी के साथ विवाह करके पार्वती को सुख की प्राप्ति नहीं होगी, अत: वे अपना इरादा बदल दें, किन्तु पार्वती अपने निर्णय पर दृढ़ रहीं। यह देखकर सप्तऋषि अत्यन्त प्रसन्न हुए और उन्हें सफल मनोरथ होने का आशीर्वाद देकर शिव जी के पास वापस आ गए। सप्तऋषियों से पार्वती के अपने प्रति गहन प्रेम की जानकारी पा कर भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न हुए कथा सुनने को लेकर देर रात तक भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष श्यामसुंदर मंडल, रामरतन मंडल ,उपाध्यक्ष संजय मंडल, मितेश शाह, महेंद्र मंडल, सुरेंद्र मंडल, सचिव शिव नारायण मंडल, सह सचिव राजाराम मंडल, राजेंद्र मंडल, मंत्री नीलांबर मंडल, धनंजय मंडल, कोषाध्यक्ष प्रभु मंडल, सह कोषाध्यक्ष गणेश सिंह, सुरेश मंडल, केशवदास, कार्यकारिणी प्रमुख अजय यादव आदि उपस्थित थे।
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