कुष्ठ असाध्य बीमारी नहीं : डा. रहमतुल्लाह
संवाद सहयोगी जामताड़ा कुष्ठ न तो अछूत बीमारी है और न ही असाध्य। यह बैक्टीरिया से फैलने

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : कुष्ठ न तो अछूत बीमारी है और न ही असाध्य। यह बैक्टीरिया से फैलने वाली एक बीमारी है। इससे बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है। ताकि समाज से यह रोग समाप्त हो सके। उक्त बातें स्वास्थ्य जागरूकता मिशन के प्रचारक गाजी रहमतुल्लाह रहमत (होम्योपैथ) ने विश्व कुष्ठ दिवस के अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष जनवरी के अंतिम रविवार को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। भारतवर्ष में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर इसे राष्ट्रीय कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि और विश्व कुष्ठ दिवस दोनों संयोग से रविवार को ही पड़ा है। वैसे सच्चाई यह भी है कि कुष्ठ रोग न तो कोई अभिशाप है और न ही पूर्व जन्म में किए गए पापों की सजा। यह रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होता है। विश्व कुष्ठ रोग दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देना है और लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना भी है। ज्ञात हो कि गांधीजी के मन में समाज के हर तबके के लिए बराबर प्यार था। यही कारण है कि वे छूआछूत के विरुद्ध थे। उनका ऐसा मानना था कि छूआछूत के चलते समाज में असमानता फैलती है। यह सच्चाई भी है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता है। बावजूद इसके आज भी कई छूआछूत के मामले हमारे सामने आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हीं छुआछूत में से कुष्ठ रोग को भी लिया जाता है, जबकि कुष्ठ रोग छुआछूत से नहीं, बल्कि माइकोबैक्टेरियम लैप्री से फैलता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए थे। यही कारण है कि उनकी पुण्यतिथि पर विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस दिन की शुरूआत फ्रांस के समाजसेवी की तरफ से की गई थी। वैसे कुष्ठ रोग दिवस मनाने की शुरुआत राउल फोलेरो ने साल 1954 में की थी। लेकिन बाद में गांधीजी के कुष्ठ रोगियों के प्रति दया और स्नेह के चलते यह दिवस गांधी जी को समर्पित कर दिया। भारत सरकार ने कुष्ठ रोग पर नियंत्रण करने के लिए वर्ष 1955 में राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम चालू किया, जिससे भारतीय शहरी एवम ग्रामीण क्षेत्र में कुष्ठ रोग पर काफी नियंत्रण हुआ। बाद में सन 1983 में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम कर दिया गया और देश के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कुष्ठ रोग का उपचार कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाया। इस कार्यक्रम के तहत एमडीटी निश्शुल्क रूप में उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि यह रोग अब संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के लगातार संपर्क में बने रहने से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। इसलिए इस रोग के मरीजों को टीका लेना चाहिए। पहले लोगों के मन में भ्रम था कि कुष्ठ रोग छूने से फैलता है लेकिन यह बात पूरी तरह से गलत है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष 200,000 लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार साल 2018 में 120 से अधिक देशों में कुष्ठ रोग के 2.08 लाख से अधिक मामले सामने आए, जिनमें से अधिकतम भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया से सामने आए, हालांकि विगत तीन-चार वर्षो में मामलों में कमी आई है।
गाजी रहमत ने कहा कि मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) नामक एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन से कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। यह इलाज पूरी दुनिया में मुफ्त में उपलब्ध है। राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा कुष्ठ रोग को प्राथमिक अवस्था में पहचान कर शीघ्र पूर्ण उपचार करना, संक्रामक रोगियों का शीघ्र उपचार कर संक्रमण की रोकथाम करना, नियमित उपचार द्वारा विकलांगता से बचाव करना, विकृतियों का उपचार कर रोगियों को समाज का उपयोगी सदस्य बनाना तथा स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा समाज में इस रोग के संबंध में फैली गलत अवधारणाओं को दूर करना एनएलईपी का मुख्य उद्देश्य रहा है जिससे समाज काफी जागरूक हुआ है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में भी कुष्ठ रोग का अच्छा इलाज है। अगर अनुभवी होम्योपैथ की देखरेख में नियमित रूप से दवा ली जाए तो हैनसेंस डिजीज (कुष्ठ रोग) से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यूट्यूब और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों का सहारा ले कर कुष्ठ रोग निदान के लिए होम्योपैथिक दवाइयां खाना शुरू कर देते हैं जिससे उन्हें कोई फायदा नहीं होता क्योंकि वह स्वयं नहीं जान सकता कि उनका रोग किस अवस्था में है। लेप्रोमैटस, ट्यूबरक्यूलाइड, इंडिटरमिनेट एवं डायमार्फिक (बार्डर लाइन लेप्रसी) आदि प्रकारों में से कौन सा प्रकार है तथा कौन-कौन से सिम्टम्स उनके शरीर पर दृश्य एवं अदृश्य रूप में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग तथा अन्य किसी भी रोग में लोगों को सेल्फ मेडिकेशन से बचना चाहिए। उन्होंने कुष्ठ रोगियों को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें सात्विक आहार ही लेना चाहिए। तामसी आहार उनके लिए हानिकारक है।


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