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    राजा हरिश्चंद्र को भगवान श्रीहरि ने सत्यवादी की उपाधि दी थी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 20 Feb 2020 07:09 PM (IST)

    कुंडहित (जामताड़ा) बनकाटी गौर गदाघर मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवे दिन प्रवचन सुनने को भक्तों का जमावड़ा लगा रहा। वृंदावन निवासी भागव ...और पढ़ें

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    राजा हरिश्चंद्र को भगवान श्रीहरि ने सत्यवादी की उपाधि दी थी

    कुंडहित (जामताड़ा) : बनकाटी गौर गदाघर मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवे दिन प्रवचन सुनने को भक्तों का जमावड़ा लगा रहा। वृंदावन निवासी भागवत शास्त्री श्री श्री कृष्ण दास गोस्वामीजी महाराज ने राजा दशरथ व राजा हरिश्चंद्र कथा की विस्तार से जानकारी भक्तों को दी। कहा कि राजा हरिश्चंद्र जिन्होंने सत्य को धरती पर उतरा था। दूसरे राजा अंबरीष ने एकादशी के महत्व को धरती पर लाया था तथा तीसरे राजा भगीरथ ने धरती पर गंगा को लाया था और चौथे राजा दशरथ ने भगवान श्रीराम को धरती पर लाया था। पृथ्वी पर भक्ति और भगवान का हमेशा संबंध रहा है। राजा हरिश्चंद्र से दरिद्र हो गए। हरिश्चंद्र अपने पुत्र रोहित व पत्नी के साथ भिक्षा के लिए दर-दर की ठोकर खाने के बाद भी अपने सत्य की राह नहीं छोड़ी। राजा हरिश्चंद्र को श्मशान में चंडाल का काम करना पड़ा था। सर्प दंश से पुत्र की मत्यु हो गई लेकिन वे सत्य को नहीं छोड़े। अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा हरिश्चंद्र को सत्यवादी की उपाधि दी। वहीं भागवत कथा का पाठ आचार्य सुखदेव ने किया। कहा की संतोष ही परम सुख है। भागवत कथा श्रवण करने के लिए दूर दराज के विभिन्न गांव से श्रद्धालु पहुंचे। मौके पर गौरीशंकर अधिकारी, बनमाली अधिकारी, दीनबंधु फौजदार, प्रभाकर अधिकारी, श्रावणी पाल, यदुनंदन भंडारी आदि उपस्थित थे।

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