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    Jharkhand Chowkidar Bharti: चौकीदार बहाली प्रक्रिया पर झारखंड HC ने लगाई रोक, नियमावली में गड़बड़ी का शक

    झारखंड हाईकोर्ट ने जामताड़ा जिले में चौकीदार भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है जिससे याचिकाकर्ताओं में उम्मीद जगी है। कोर्ट ने नियुक्ति नियमावली में गड़बड़ी पाई है और जिला प्रशासन को अपना पक्ष रखने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में अनियमितता बरती गई और परिणाम में त्रुटियां थीं।

    By Antim Chaudhari Edited By: Nishant Bharti Updated: Wed, 27 Aug 2025 07:31 PM (IST)
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    चौकीदार भर्ती पर रोक, असफल अभ्यर्थियों ने कहा न्यायालय पर पूरा भरोसा

    जागरण संवाददाता, जामताड़ा। झारखंड हाई कोर्ट ने जामताड़ा जिले में चौकीदार बहाली प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इसके बाद कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अभ्यर्थियों में खुशी के उम्मीद जगी है। साथ ही उनका कहना है कि कोर्ट पर हम लोगों को पूरा भरोसा था और है। इस पर एक बार से फिर हम लोगों के लिए नौकरी का रास्ता खुलेगा।

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    कोर्ट ने माना है कि नियुक्ति नियमावली में गड़बड़ी की गई है। साथ ही जिला प्रशासन को भी आठ सप्ताह का समय अपना पक्ष रखने को दिया है। चौकीदार बहाली में कोर्ट की हस्तक्षेप के अभ्यर्थियों में उम्मीद जगी है कि एक बार फिर से नए सिरे से चौकीदार बहाली की प्रक्रिया जिले में अपनाई जाएगी।

    शहाबुद्दीन अंसारी ने कहा जामताड़ा में चौकीदार बहाली में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई थी। इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर किया गया था। कोर्ट का फैसला आया है कि बहाली पर रोक लगाई जाए यह हम लोगों के लिए उम्मीद लेकर आया है। एक बार फिर से जिले में नए सिरे से चौकीदार की बहाली होगी। और योग्य उम्मीदवार को नौकरी मिलेगी।

    शुभम रजवार ने कहा जामताड़ा में चौकीदार की बहाली में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई थी। दो बार रिजल्ट निकाल गया था। दूसरी बार के परिणाम में एक नंबर के लिए मैं क्वालीफाई नहीं कर पाया। साथ ही बीट में भी बड़ी गड़बड़ी की गई थी। इन सबको लेकर कोर्ट गया था। कोर्ट का फैसला हम लोग के पक्ष में आ रहा है। यह खुशी की बात है। चार नवंबर को भी अगली सुनवाई है। इसमें भी हम लोग के पक्ष में फैसला आएगा।

    मुन्ना यादव ने कहा चौकीदार भर्ती की लिखित परीक्षा का रिजल्ट दो बार निकल गया। इसमें कई अभ्यर्थियों का अंक कम कर दिया गया तो कई का बढ़ा दिया गया। ओबीसी और एससी के लिए कोई सीट नहीं रखी गई थी। पहली बार के परिणाम में पास हो गया था लेकिन दूसरी बार में क्वालीफाई नहीं कर पाया। एक नंबर की वजह से रिजल्ट पेंडिंग पड़ गया। हाई कोर्ट का फैसला आने से उम्मीद बढ़ी है। चार नवंबर को भी हम लोग के पक्ष में फैसला आएगा।

    अजय हेंब्रम ने कहा मैं दिव्यांग कोटे से आवेदन किया था। बावजूद मुझे सामान्य कोटे में दौड़ना पड़ा, जबकि विज्ञापन में इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया था। हाई कोर्ट का फैसला आने से उम्मीद जगी है। जिले में दोबारा चौकीदार की बहाली होगी तो फिर से दौड़ने का मौका मिलेगा। यहां बीट चयन में भी कई गड़बड़ी की गई थी।

    मंतोष महतो ने कहा चौकीदार बहाली में जिले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई थी। इसको लेकर शुरू से आवाज उठाया और हाई कोर्ट तक गया। अब फैसला हम लोगों के पक्ष में आया है। उम्मीद है कि आठ सप्ताह बाद चार नवंबर को भी हमलोगों के पक्ष में हाई कोर्ट का फैसला आएगा। जिला प्रशासन ने अपनी गड़बड़ी पर कोई भी सफाई नहीं दे सकता है।

    कमल हेंब्रम ने कहा झारखंड में नौकरी के लिए ऐसा वैकेंसी नहीं निकली है जोकि बिना किसी विवाद से हुआ है। जेपीएससह, जेएसएससी, सीजीएल का मुद्दा हो सभी में कोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। अब बताएं सरकर या या विभागीय स्तर पर कार्य करने वाले अधिकारी सही नहीं हैं। नौकरी के लिए लोगों को उच्च न्यायालय जाना पड़ता है। तभी झारखंडी छात्राओं को न्याय मिलता है।

    जामताड़ा में चौकीदार संवर्ग नियुक्ति परीक्षा का विज्ञापन में कई गड़बड़ी है। अब कोर्ट ने भी मान लिया है। औपबंधिक मेधा सूची तक त्रुटि है। बीट निर्माण नियमावली भाग दो , बी बिंदु 9 के अनुसार नहीं हुआ है। बीट क्षेत्र के स्थानीय निवासी नहीं है बोल कर आवेदक काे अस्वीकृत किया गया है। कोर्ट पर भरोसा है।