Jamtara Train Accident: पटरी पर बिखरे पड़े चप्पल से लेकर बैग-बोतल, चश्मदीदों ने कहा- दर्जनों मर सकते थे अगर...
झारखंड में हुए भयावह ट्रेन हादसे में दो लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनों घायल है। देर रात तक घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला। पुलिस-प्रशासन की टीम झाड़ियों में भी जाकर शवों की तलाश करने लगी क्योंकि आसपास जंगली इलाका है। पटरियों पर यात्रियों के बैग चप्पल पहचान पत्र और बोतल बिखरे मिले जो हादसे की भयावहता और दर्द को बयां कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जामताड़ा। झारखंड के जामताड़ा और विद्यासागर के बीच एक ट्रेन कई लोगों पर चढ़ गई, जिससे बड़ा हादसा हो गया। डाउन लाइन से भागलपुर-यशवंतपुर ट्रेन (Bhagalpur-Yesvantpur Train) गुजर रही थी। इसी दौरान पटरी के किनारे बिछी गिट्टी के धूल को देख चालक को लगा कि ट्रेन में आ गई है और धुआं निकल रहा है।
ट्रेन से कूदने लगे यात्री
ट्रेन में आग लगने की अफवाह जैसे ही उड़ी, तो चालक के गाड़ी रोकते ही यात्री ट्रेन से उतरने लगे। तभी रॉन्ग साइड से कूदने की वजह से आसनसोल से जसीडीह की ओर से जा रही ईएमयू पैंसेजर ट्रेन की चपेट में कई यात्री आ गए।
इस भयावह हादसे में कई लोगों के घायल होने की सूचना है, जबकि दो के शव बरामद किए गए हैं।मृतकों के पास मिले आधार कार्ड की मदद से दोनों की शवों की शिनाख्त कर ली गई है। देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा।
चश्मदीदों ने बयां किया भयावह मंजर
मौके पर जुटी हादसे के चश्मदीदों की भीड़ इस भयावह ट्रेन हादसे का मंजर बयान करती रही। स्थानीय लोगों के अनुसार, कालाझरिया के पास जिस वक्त भागलपुर-यशवंतपुर ट्रेन से जिस वक्त यात्रियों की भीड़ अफरातफरी में कूद रही थी, पटरी घुमावदार होने की वजह से यहां दूसरी ओर से आ रही आसनसोल-झाझा ईएमयू की रफ्तार काफी कम हो गई थी। यही वजह रही कि ट्रेन से उतरे सैंकड़ों यात्रियों ने कूदकर अपनी जान किसी तरह से बचा ली। वरना हादसे में दर्जनों लोगों की मौत होनी तय थी।
रूट पर ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित
वहीं, रात में जंगल के पास का इलाका होने से शवों और घायलों की तलाश में काफी मशक्कत करना पड़ रहा था। स्थानीय लोगों के अनुसार हादसे में घायल हुए दर्जनों ऐसे लोग भी थे, जो घायल अवस्था में भी ट्रेन पर दोबारा से चढ़कर आसनसोल की ओर निकल गए। देर रात तक दोनों ही ओर से ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही।
देर रात तक चलता रहा अभियान
हादसे के भयावह रूप को देखते हुए देर रात तक बचाव दल के साथ मौके पर मौजूद आरपीएफ और स्थानीय पुलिस-प्रशासन की टीम शवों की तलाश में जुटी रही। हादसे के भयावह मंजर को देखते हुए रेलवे की टीम को भी देर रात इस अंदेशे में तलाशी अभियान जारी रखना पड़ा कि कहीं कोई घायल या मृतक का शव आसपास की झाड़ियों में ना फंसा हो।
सूचना पाकर स्थानीय पुलिस के साथ रात के करीब साढ़े आठ बजे जामताड़ा एसडीएम अनंत कुमार, एसडीपीओ मुजीबुर रहमान, थाना प्रभारी विवेकानंद दुबे, एसआई नितेश कुमार, एसआई बिकास कुमार तिवारी, आरपीएफ इंस्पेक्टर केएम सिराज, सब इंस्पेक्टर आरके गुप्ता, श्रीनिवासन, एसपी वर्मा एवं मो असलम दलबल के साथ मौजूद रहे।
वहीं, आसनसोल रेल मंडल के डीआरएम चेतनानंद सिंह भी रात करीब 9:30 बजे कालाझरिया स्थित घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने टीम को लगातार पटरियों के इर्द-गिर्द तलाशी अभियान जारी रखने का निर्देश दिया। ताकि किसी भी परिस्थिति में यदि कोई यात्री कहीं घायल या मृत अवस्था में ही हो तो उसकी शिनाख्त या मदद की जा सके।
कई यात्रियों ने गांवों में लिया आसरा
जिला परिषद सदस्य और स्थानीय ग्रामीण सुरेंद्र मंडल ने बताया कि मामला निंदनीय है। तत्काल जिले के पुलिस अधीक्षक को सूचना दी गई। उन्होंने रेलवे से मृतकों व घायलों के स्वजन को तत्काल मुआवजा देने की मांग की।
इस दौरान अफरातफरी में भागलपुर-यशवंतपुर से उतरे सैंकड़ों यात्रियों ने पैदल ही कासीटांड़ स्टेशन पर पहुंचकर आसरा लिया और जसीडीह व जामताड़ा जाने के लिए ट्रेन की बाट जोहते रहे।
जबकि परिवार के साथ बिहार के पूर्णिया के रहने वाले अनिल कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें परिवार के साथ कटक जाना था। लेकिन ऐसी अफरातफरी मची कि वह पूरे परिवार के साथ घटनास्थल पर ही उतर गए। वह भागलपुर में इस ट्रेन पर सवा हुए थे। काफी देर तक वह पास के कालाझरिया स्थित गांव में आसरा लिए रहे।
घटनास्थल पर मिले बैग, चप्पल और बोतल
घटनास्थल पर मची अफरातफरी के बीच दो बैग मौके पर फेंके मिले। जबकि दर्जनों लोगों के चप्पल-जूते और बोतल बेतरतीब बिखरे थे। शव इस कदर क्षत-विक्षत हो चुके थे पटरियों पर दूर दूरतक खून के धब्बे पड़े थे। आरपीएफ की टीम ने दोनों बैग को सुरक्षित रखवा दिया।
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