जामताड़ा में जालसाजों का नया खेल: दूसरे का मकान दिखाकर ठगे 89 लाख रुपए, 6 ठग गिरफ्तार
जामताड़ा में साइबर ठगी के बाद अब प्रॉपर्टी में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। जालसाजों के एक गिरोह ने कोलकाता के समीर सरकार की जमीन बताकर देवघर के मुकेश रवानी से 89 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है जिनमें एक महिला भी शामिल है। एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि आरोपियों ने उम्र के हिसाब से किरदार गढ़े थे।

जागरण संवाददाता, जामताड़ा। अब तक साइबर ठगी के लिए मशहूर जामताड़ा में यदि आपकी जमीन और मकान यों ही खाली पड़े हैं, तो अब वह भी महफूज नहीं।
ना पुख्ता जानकारी के यहां प्रॉपर्टी खरीदना ही सुरक्षित है। वजह है, शहर में ऐसे जालसाजों का गैंग मौजूद है जो आपकी प्रॉपर्टी को अपना बताकर उसे दूसरे को बेच देंगे और आपको पता भी चलेगा मामला पुलिस तक जा पहुंचेगा।
हुआ भी कुछ ऐसा ही। जामताड़ा के कुछ जालसाजों ने मिलकर ठगी की ऐसी पटकथा लिखी जिसमें कोई मकान का मालिक बन गया तो कोई उस मकान मालिक का बेटा, बहू और पोता।
फिर कोलकाता के रह रहे समीर सरकार की लाखों की संपत्ति दिखाकर देवघर चितरा के रहने वाले मुकेश रवानी से 89 लाख रुपये ठग लिए।
लेकिन जब जामताड़ा रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस मकान की रजिस्ट्री की बारी आई तो पता चला यह मकान तो किसी और का है। जब तक इस बात का पता चलता 6 जालसाज मिलकर मुकेश रवानी से 89 लाख रुपये की ठगी कर चुके थे।
मुकेश रवानी की शिकायत पर जामताड़ा टाउन थाने की पुलिस ने एक महिला समेत इस जालसाजी में शामिल छह लोगों को दबोचा है।
इनमें सिमलबेड़िया का रहने वाला 59 वर्षीय घनश्याम महतो, 39 वर्षीय विक्रम महतो, जामताड़ा के पांडेडीह का रहने वाला 51 वर्षीय पंचानंद दास, राजपल्ली की रहने वाली 40 वर्षी टुम्पा सर्खेल, राजपल्ली का रहने वाला 41 वर्षीय परिमल बाउरी और जामताड़ा के कायस्थपाड़ा का रहने वाला जिसु सरकार शामिल हैं। इस बात की जानकारी जामताड़ा एसपी राजकुमार मेहता ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी।
ठगी के लिए उम्र के हिसाब से गढ़े गए थे सभी के किरदार
एसपी मेहता ने बताया कि जामताड़ा रेलवे स्टेशन के पास स्थित मकान समीर सरकार का है।लेकिन वह कोलकाता में रहते हैं। चितरा के रहने वाले मुकेश रवानी को इन जालसाजों ने मिलकर बेचने के नाम पर यह घर दिखाया।
मुकेश को यह मकान पसंद आने पर बिचौलिए की भूमिका निभा रहे घनश्याम महतो व विक्रम महतो ने ठगी के लिए उम्र के हिसाब से सबके किरदार तय किए।
सबसे उम्रदराज पंचानंद दास को इस घर का मालिक समीर सरकार बताया गया, जबकि टुम्पा सर्खेल और परिमल बाउरी को उनके बेटे और बहू रूप में प्रस्तुत किया। वहीं सबसे कम उम्र के जिसु सरकार को पौता बनाकर उससे मुलाकात करवाई।
फिर इस घर का सौदा 89 लाख में तय हुआ तो मुकेश ने 84 लाख रुपये टुम्पा सर्खेल के खाते में और पांच लाख रुपये जिसु सरकार के खाते में भेजा।
सबने मिलकर की ठगी के पैसों की बंदरबांट
इसके बाद पंचानंद दास के खाते में 15 लाख 75 हजार, घनश्याम महतो के खाते में 27 लाख 76 हजार, विक्रम महतो के खाते में पांच लाख 85 हजार, परिमल बाउरी के खाते में पांच लाख 60 हजार और 29 लाख 56 हजार नगद राशि सभी ने मिलकर आपस में बांट लिए।
इस तरीके से सबने मिलकर 89 लाख रुपये की ठगी पीड़ित से कर ली। लेकिन जब मकान रजिस्ट्री करने की बारी-बारी आई तो ये लगातार आना-कानी करते रहे और आखिरकार मामला जब पुलिस तक पहुंचा इस बड़ी जालसाजी का पर्दाफाश हुआ।
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