Jamtara News: जामताड़ा में लापरवाही से प्रसूता की मौत, बिना मान्यता के चल रहा था अस्पताल
जामताड़ा मेमोरियल अस्पताल में गलत इलाज से प्रसूता की मौत के बाद हंगामा हुआ। परिजनों ने डॉक्टर को बंधक बनाया और अस्पताल में तोड़फोड़ की। आरोप है कि अस्पताल बिना मान्यता के चल रहा था और मरीजों के साथ फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। ग्रामीणों ने प्रशासन की अनदेखी पर सवाल उठाए हैं और जांच की मांग की है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में किया।
जागरण संवाददाता, जामताड़ा। जामताड़ा मेमोरियल अस्पताल में शुक्रवार को लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया। ऑपरेशन के बाद गलत इलाज के कारण एक प्रसूता की मौत हो गई। वह पिछले तीन दिनों से अस्पताल में भर्ती थी।
मौत की खबर मिलते ही परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा हुआ। गुस्साए लोगों ने एक डॉक्टर को अस्पताल में ही बंधक बना लिया, जबकि अन्य डॉक्टर और स्टाफ मौके से फरार हो गए।
बिना मान्यता के चल रहा अस्पताल
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि जामताड़ा मेमोरियल अस्पताल बिना किसी मान्यता के वर्षों से चल रहा है। यहां मरीजों को उचित इलाज देने के बजाय फर्जीवाड़ा कर इलाज किया जा रहा था। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण यह अस्पताल खुलेआम संचालित हो रहा था।
डॉक्टर का चौंकाने वाला बयान
मौके पर मौजूद एक डॉक्टर ने खुद को PSE मदूपुर का पदस्थापित डॉक्टर बताया। उसने कहा, “मैं पीएचसी मधुपुर में पदस्थापित हूं, लेकिन यहां 24 घंटे रहता हूं।” इस बयान ने परिजनों और आम जनता के बीच आक्रोश को और बढ़ा दिया। लोगों ने सवाल उठाया कि जब डॉक्टर की पदस्थापना किसी अन्य जगह है तो वह जामताड़ा में निजी अस्पताल में 24 घंटे कैसे मौजूद रहता है।
हंगामा और बंधक
प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की और सभी डॉक्टरों की जिम्मेदारी तय करने की मांग की। इसी दौरान एक डॉक्टर को भीड़ ने अस्पताल के भीतर ही बंधक बना लिया। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने किसी तरह स्थिति को संभालते हुए डॉक्टर को भीड़ से मुक्त कराया।
जांच की मांग तेज
ग्रामीणों और परिजनों ने मांग की कि अस्पताल की मान्यता की पूरी जांच हो और दोषी डॉक्टरों एवं प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। घटना के बाद से अस्पताल का पूरा स्टाफ फरार है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर बिना मान्यता के यह अस्पताल कैसे चल रहा था और किसकी शह पर वर्षों से मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था।
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