सरकारी अस्पतालों में मिलेगी दंत चिकित्सक की सुविधा
जामताड़ा : अब दांत से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को अन्य जिले के चिकित्सकों पर अ
जामताड़ा : अब दांत से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को अन्य जिले के चिकित्सकों पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने पहल शुरू कर दी है। जिलास्तरीय सदर अस्पताल व प्रखंड स्तरीय दो अस्पतालों में दंत चिकित्सक की पदस्थापना कर दी गई है। उसके बाद अन्य अस्पतालों में के लिए भी चिकित्सक की पदस्थापना होगी। ताकि प्रखंड व जिलास्तरीय अस्पतालों में दंत ओपीडी का संचालन शुरू हो सके। दांत दर्द से राहत दिलाने के अलावा कृत्रिम दांत लगवाने तक की सुविधा मिलेगी।
---दंत चिकित्सा विहीन हर सरकारी अस्पताल : अब तक जिला स्तरीय व प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में दांत से संबंधित बीमारी के इलाज की कोई व्यस्था नहीं है। की सरकारी अस्पताल में सरकारी डॉक्टर भी नहीं है। ऐसे में दांत से संबंधित बीमारी से ग्रसित मरीजों को निजी क्लीनिक या अन्य जिले के सरकारी अस्पताल पर आश्रित रहना पड़ता था। जामताड़ा में एक दो निजी दंत चिकित्सालय हैं पर वहां इलाज काफी महंगा साबित होता है। पर निकट भविष्य में यहां सरकारी अस्पतालों मं दांत के चिकित्सक की सुविधा मिलने पर मरीजों को कई तरह की परेशानी से छुटकारा मिलेगी।
तीन चिकित्सक की पदस्थापना राज्य मुख्यालय से हुई : विभागीय अधिकारी की मानें तो जिलास्तरीय समेत सभी छह प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में दंत ओपीडी का संचालन शीघ्र होगा। इस बाबत जिले में तीन दंत चिकित्सकों की पदस्थापना राज्य मुख्यालय से हुई है। चिकित्सकों ने सीएस कार्यालय में अपना योगदान भी दे चुका है। पहले चरण में स्वास्थ्य विभाग ने जिला स्तरीय सदर अस्पताल, नाला एवं कुंडहित प्रखंड स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दंत ओपीडी की सेवा शुरू करने की तैयारी पूरी की है। सदर अस्पताल में डॉ. पोवेल, कुंडहित में डॉ. दीपशिखा रवानी एवं नाला में डॉ. लोइतोंग बम दंड ओपीडी का संचालन करेंगे।
-क्या कहते हैं सीएस : राज्य मुख्यालय से पदस्थापित तीन दंत चिकित्सकों ने जिला में योगदान दिया है। प्रखंडों के अस्पताल में भी योगदान हो चुका है। चिकित्सकों को सुविधायुक्त ओपीडी के साथ उपकरण व दवा की व्यवस्था कर दी गई है। अगले सप्ताह से उक्त तीनों अस्पतालों में दंत चिकित्सा शुरू हो जाएगी। दंत ओपीडी शुरू होने के उपरांत दांत संबंधित बीमारी का इलाज निश्शुल्क प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में भी संभव होगा।
डॉ. बीके साहा, सिविल सर्जन।
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