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    Bihar Hijab Controversy में झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री की भी एंट्री, इरफान अंसारी पर नियोजन नीति तोड़ने का लगाया बड़ा आरोप

    By Mritunjay PathakEdited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Sat, 20 Dec 2025 02:44 PM (IST)

    Nusrat Praveen Hijab Row: बिहार हिजाब विवाद में झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने एंट्री करते हुए इरफान अंसारी पर नियोजन नीति तोड़ने का आरोप लगाया ह ...और पढ़ें

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    झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, जामताड़ा। Bihar Hijab Vivadःबिहार के बहुचर्चित हिजाब विवाद ने अब झारखंड की राजनीति में भी हलचल तेज कर दी है। नियुक्ति पत्र वितरण के दाैरान मुख्यमंत्री द्वारा हिजाब हटाने को लेकर चर्चा में आईं मुस्लिम महिला डॉक्टर नुसरत परवीन को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री और जामताड़ा विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने राज्य में नौकरी का ऑफर दिया है। इस प्रस्ताव के बाद सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है और भाजपा भी हमलावर हो गई है।

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    Nusrat Hijab Cotovercy

    स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने घोषणा की है कि डॉ. नुसरत परवीन को झारखंड में तीन लाख रुपये प्रतिमाह वेतन पर सरकारी नौकरी दी जाएगी। साथ ही उन्हें सरकारी फ्लैट, पूर्ण सुरक्षा और सम्मानजनक कार्य वातावरण भी उपलब्ध कराया जाएगा।

    इरफान अंसारी ने कहा कि बिहार में महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना अमानवीय और शर्मनाक है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। हिजाब खींचना सिर्फ एक महिला का नहीं, बल्कि संविधान और इंसानियत का अपमान है। उन्होंने नीतीश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि झारखंड में महिलाओं और डॉक्टरों के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाता।

    इधर, इस मुद्दे पर भाजपा नेता और झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही भी मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने डॉ. इरफान अंसारी को खुली चुनौती देते हुए सवाल किया है कि नुसरत परवीन को झारखंड में किस नियोजन नीति के तहत सीधी नौकरी दी जाएगी।

    शाही ने कहा कि अगर ऐसी कोई नीति है तो उसी के तहत झारखंड के बेटा-बेटी को नौकरी क्यों नहीं दी जा रही है। उन्होंने इरफान अंसारी से इस पर स्पष्ट जवाब देने की मांग की है।


    हिजाब विवाद को लेकर जहां एक ओर सत्तापक्ष इसे महिला सम्मान और इंसानियत से जोड़ रहा है, वहीं विपक्ष इसे नियम-कानून और नियोजन नीति का मुद्दा बता रहा है। ऐसे में यह मामला अब सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।