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    Kolkata से Jamtara के बीच 23 दिनों तक रास्ते में झूमता रहा बीयर भरा कंटेनर, बदनामी से बचाने में जुटा उत्पाद विभाग

    By Antim Chaudhari Edited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 07:06 PM (IST)

    Jamtara News: कोलकाता के हुगली से बीयर से भरा कंटेनर 23 दिनों तक लापता रहा, जिससे विभागीय लापरवाही उजागर हुई है। कंटेनर का जामताड़ा में पता चला, जिससे ...और पढ़ें

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    जामताड़ा में कंटेनर से मालवाहक वैन में उतारी जा रही बीयर की खेप।

    जागरण संवाददाता, जामताड़ा। आमतौर पर शराब पीने के बाद इंसान को झूमते देखा जाता है, लेकिन अगर शराब से भरा कंटेनर ही झूमने लगे तो मामला सिर्फ देरी का नहीं, बल्कि गड़बड़ी और घपले की बू देने लगता है। जामताड़ा में कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जहां कोलकाता के हुगली से चला बीयर लदा कंटेनर 23 दिनों तक रास्ते में 'झूमता' रहा और आखिरकार विवादों के घेरे में आ गया।

    जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर को हुगली से जामताड़ा के लिए रवाना हुई बीयर  की यह खेप आठ दिसंबर तक विभागीय गोदाम में पहुंचनी थी। लेकिन कंटेनर तय समय से दो दिन बाद, यानी 10 दिसंबर को जामताड़ा पहुंचा। इतने लंबे अंतराल के कारण बीयर की खेप का परमिट पहले ही फेल हो चुका था।

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    इसके बावजूद विभागीय स्तर पर लापरवाही की हद तब पार हो गई, जब कंटेनर को गोदाम की जगह जामताड़ा के सुनसान बेना काली मंदिर मैदान में खड़ा कर उससे बिना किसी जांच के शराब और बीयर की ढुलाई शुरू कर दी गई।

    बुधवार करीब 11 बजे जब कोलकाता फैक्ट्री से उत्पाद विभाग को आवंटित 1375 पेटी बीयर बेना मैदान में उतारी जा रही थी, तो स्थानीय लोगों की नजर पड़ी। देखते ही देखते वहां भीड़ जुट गई और जांच की मांग उठने लगी।

    ग्रामीणों के हंगामे के बाद उत्पाद इंस्पेक्टर निखिल चंद्र और गोदाम इंचार्ज मौके पर पहुंचे, लेकिन लोग उच्च स्तरीय जांच की मांग पर अड़े रहे। जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। बेना मैदान से बीयर ढुलाई का कोई विभागीय आदेश नहीं था और न ही मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी।

    केवल चार होमगार्ड जवान कंटेनर की सुरक्षा में लगाए गए थे। बिना आदेश के पिकअप वैन लगाकर बियर ढोने की तैयारी की जा रही थी। ग्रामीणों की सतर्कता से यह पूरा खेल उजागर हो गया।

    विवाद बढ़ता देख कंटेनर को तत्काल बंद कराया गया। बाद में विभागीय आदेश जारी कर दूसरे वाहन से बीयर की पेटियों को गोदाम तक पहुंचाया गया। इस बीच विभाग के दावों और जमीनी हकीकत में भी विरोधाभास सामने आया।

    विभाग का कहना है कि कंटेनर सात दिसंबर को ही जामताड़ा पहुंच गया था, लेकिन अगर ऐसा था तो दो दिन बाद बेना मैदान में बियर क्यों उतारी जा रही थी? सवाल यह भी है कि समय रहते वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई।

    फिलहाल यह मामला विभागीय लापरवाही से कहीं आगे, बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है, जिसकी निष्पक्ष जांच की मांग अब तेज हो गई है।