जामताड़ा में अब तक शुरू नहीं हुई बीएड की पढ़ाई
जामताड़ा जिले की बीएड की पढ़ाई के लिए नामांकन कब से होगा। इस सवाल से प्रत्येक दिन प्राचार्य और शिक्षकों को दो-चार होना पड़ रहा है। जिले में बीएड की पढ़ाई के लिए कोई भी शैक्षणिक संस्थान नहीं है। वर्ष 2010-11 में जामताड़ा महाविद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू की गई। सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका ने जामताड़ा कॉलेज में दो सौ सीट के लिए एडमिशन फॉर्म का वितरण किया।
जामताड़ा : जिले की बीएड की पढ़ाई के लिए नामांकन कब से होगा। इस सवाल से प्रत्येक दिन प्राचार्य और शिक्षकों को दो-चार होना पड़ रहा है। जिले में बीएड की पढ़ाई के लिए कोई भी शैक्षणिक संस्थान नहीं है। वर्ष 2010-11 में जामताड़ा महाविद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू की गई। सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका ने जामताड़ा कॉलेज में दो सौ सीट के लिए एडमिशन फॉर्म का वितरण किया। जानकारी के अनुसार करीब पंद्रह सौ छात्रों ने बीएड में नामांकन के लिए फार्म खरीदा। फॉर्म की बिक्री से विश्वविद्यालय को करीब पौने चार लाख रुपये की आय हुई। दुर्भाग्य की बात यह है कि नामांकन फॉर्म लेने के बाद से छात्र-छात्राएं एक साल तक जामताड़ा कॉलेज का चक्कर लगाते रहे। बीएड की पढ़ाई कब तक शुरू होगी, उन्हें इस सवाल का जवाब देने में कॉलेज और विवि प्रशासन अक्षम साबित रहा। अभी तक जामताड़ा कॉलेज को नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से बीएड की पढ़ाई के लिए मान्यता नहीं मिली है। जबकि पिछले 10-12 वर्ष पूर्व स्थानीय आदिवासी बालक छात्रावास चाकड़ी परिसर में विधायक निधि से बीएड कॉलेज भवन का निर्माण कराया गया जिस भवन में आज भी ताला झूल रहा है। भवन देखरेख के अभाव में अब धीरे-धीरे खंडहर बनते जा रहा है।
--- एनसीटीई ने नहीं दी मान्यता : इस संदर्भ में बताया जाता है कि एनसीटीई से बीएड की पढ़ाई के लिए मान्यता प्राप्त करना होता है। जामताड़ा कॉलेज को अभी मान्यता नहीं मिली है। सिदो-कान्हु मुर्मू विवि में बीएड के लिए एनसीटीई, दिल्ली से मान्यता के लिए अर्जी दी गई थी। दिल्ली की टीम ने जामताड़ा बीएड कॉलेज का निरीक्षण भी किया। लेकिन किसी प्रकार का हल नहीं निकल सका।
क्या कहते हैं प्राचार्य : जामताड़ा को बीएड की मान्यता मिले इस निमित एनसीटीई के यहां महाविद्यालय प्रबंधन ने आवेदन किया था। उसके पश्चात टीम ने बीएड कॉलेज का निरीक्षण भी किया। लेकिन कुछ खामियां पाई गई थी। जिसका जबाब प्रस्तुत किया गया था। लेकिन एनसीटीइ से बीएड पढ़ाई की इजाजत नहीं मिल पाई। महाविद्यालय प्रबंधन अब भी विश्वविद्यालय व सरकार से संपर्क में रहकर बीएड की पढ़ाई शुरू कराने का प्रयास जारी है।
रंजीत झा, प्राचार्य जामताड़ा महाविद्यालय।
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