आयुष औषधालय का हाल बेहाल, चिकित्सक व दवा का अकाल
जामताड़ा : जिले में आयुर्वेदिक चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ रही है। बिना डॉक्टरों के आयुर्वेद चिकित्सा च ...और पढ़ें

जामताड़ा : जिले में आयुर्वेदिक चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ रही है। बिना डॉक्टरों के आयुर्वेद चिकित्सा चल रही है, जिसका फायदा लोगों को चाह कर भी नहीं मिल पा रहा है। यहां 11 आयुर्वेदिक औषधालयों के लिये मात्र दो चिकित्सक हैं। जानकारों की मानें तो प्रशासनिक उपेक्षा के कारण ही जिले में आयुर्वेद चिकित्सा का हाल-बेहाल है।
ऐसी स्थिति में मरीजों को आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ किस तरह मिलेगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
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जिले के राजकीय आयुर्वेद औषधालय पर लटका ताला : जिले के अधिकांश आयुर्वेदिक औषधालय चिकित्सक विहीन हैं। अब स्थिति यह है कि यह बंद ही रहेंगे। अभी भी अधिकांश औषधालय बंद ही रहते हैं, क्योंकि सहायक कर्मचारियों के भरोसे अस्पताल चल रहा हैं। यहां मरीजों को न तो कोई सही चिकित्सीय सलाह मिल रहा और न ही उपचार की सुविधा है। दूसरी ओर बिना डॉक्टर के औषधालय चल रहे हैं।
- जिले में संचालित कुल राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय : जिले में संचालित कुल 11 राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय है। जामताड़ा, मिहिजाम, चैनपुर, पुतुलबोना, उदलबनी, करमाटांड, नारायणपुर, नाला, कुंडहित, सरसकुंडा और अफजलपुर में राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय है।
- किराए के भवन में औषधालय : राजकीय औषधालय किराये के भवन में चल रहे हैं। औषधालय के उपर सरकार का सालाना लाखों रूपया खर्च हो रहा है, लेकिन आम लोगों को इसका सुविधा नदारद है।
- औषधालय में दवा नहीं : जिले के सभी राजकीय औषधालय में पिछले तीन साल से दवा भी उपलब्ध नहीं हो पाया है।
- डाक्टर व कर्मी विहीन औषधालय : जिले में संयुक्त औषधालय सहित राजकीय औषधालय में स्वीकृत पद के अनुरूप डॉक्टर व कर्मी की कमी है। कुल स्वीकृत पद 50 है जिसमें 43 रिक्त है।
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- क्या कहते है जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी : जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में चल रहे राजकीय औषधालय में चिकित्सक और कर्मियों की कमी है। जिस कारण राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय में ताला लटका हुआ रहता है। सरकार से कई बार डॉक्टर की बहाली के लिए मांग किया गया है।

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