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    पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये जमा कर आप भी बन सकते हैं करोड़पति

    जमशेदपुर के वित्त विशेषज्ञ अनिल गुप्ता की माने तो ईपीएफ से ज्यादा फायदेमंद पीपीएफ है। इसमें न सिर्फ अच्छा रिटर्न मिलता है बल्कि आपका निवेश भी सुरक्षित रहता है। ईपीएफ में निवेश की सीमा नहीं होती है। यह आपकी सैलरी पर निर्भर होता है।

    By Jitendra SinghEdited By: Updated: Wed, 16 Jun 2021 06:00 AM (IST)
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    पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये जमा कर आप भी बन सकते हैं करोड़पति

    जमशेदपुर : क्या आपने कभी सोचा है कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) बेहतर है या फिर एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ)। शायद नहीं। जमशेदपुर के जाने-माने वित्त विशेषज्ञ अनिल गुप्ता की माने तो ईपीएफ से ज्यादा पीपीएफ फायदेमंद है। पीपीएफ में आप 1.5 लाख रुपए जमा कर करोड़पती बन सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको 25 साल तक 1.5 लाख रुपए जमा करने होंगे। अगर आप इस साल पीपीएफ में 1.5 लाख रुपए निवेश करते हैं और आगे भी हर साल इतना ही निवेश जारी रखते हैं तो आपको 7.1 फीसद के औसत ब्याज दर से एक करोड़ रुपए का कॉर्पस बनने में आपको लगभग 25 साल लगेंगे। वहीं, ईपीएफ में मामला थोड़ा अलग नजर आता है। इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं होती है। यह आपकी सैलरी पर निर्भर करता है। आपके वेतन वृध्दि के हिसाब से ईपीएफ में बढ़ोतरी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी का प्रति माह का वेतन 50 हजार रुपए है तो ईपीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता प्रत्येक सालाना योगदान 72 हजार रुपए होगा। दोनों का ईपीएफ में कंट्रीब्यूशन बेसिक का 12-12 फीसद होता है।

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    एक करोड़ रुपये पहुंचने में लगेंगे 28 साल

    ईपीएफ में एक करोड़ रुपए का कॉर्पस बनाने में 28 साल लगेगा जबकि पीपीएफ में 25 साल में ही एक करोड़ हो जाता है। ईपीएफ में कर्मचारी द्वारा किया गया योगदान पूरी तरह से कर्मचारी के भविष्य निधि में जाता है जबकि कंपनी द्वारा दिए गए कुल योगदान में से 8.33 फीसद कर्मचारी भविष्य निधि में जाता है। इस तरह ईपीएफ में कर्मचारी के पूरे 72 हजार रुपए जाएंगे। लेकिन कंपनी का कंट्रीब्यूशन सालाना 22 हजार 20 रुपए का होगा।

    निवेश को लेकर कर्मचारी दिख रहे गंभीर

    हाल के कई रिपोर्ट से पता चला है कि निवेश को लेकर कर्मचारी काफी ज्यादा गंभीर दिख रहे हैं। वह निवेश वहीं करना चाहते है जहां से अधिक लाभ हो। इसे लेकर काफी चिंतित रहते हैं। जिस तरह से मंहगाई बढ़ी है उससे मध्य वर्ग की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है। ऐसे में हर कोई निवेश बेहतर जगह पर करना चाहता है।