Move to Jagran APP

अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस : 57 साल से पियानो एकोर्डियन बज रहे टेल्को के बी कृष्णा राव

International Music Day टेल्को के प्रकाश नगर के रहनेवाले बी कृष्णा राव 57 साल से संगीत के वाद्य यंत्र पियानो एकोर्डियन को बजा रहे हैं। यह वाद्य यंत्र गले में लटकाकर बजाया जाता है। बी कृष्णा राव ने बताया कि उन्होंने इसे वर्ष 1964 में खरीदा था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 05:49 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 06:29 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस : 57 साल से पियानो एकोर्डियन बज रहे टेल्को के बी कृष्णा राव
1950 से 80 तक इस वाद्य यंत्र का खूब बोलबाला था।

जमशेदपुर, जासं। टेल्को के प्रकाश नगर के रहनेवाले बी कृष्णा राव 57 साल से संगीत के वाद्य यंत्र पियानो एकोर्डियन को बजा रहे हैं। यह वाद्य यंत्र गले में लटकाकर बजाया जाता है। बी कृष्णा राव ने बताया कि उन्होंने इसे वर्ष 1964 में खरीदा था। उस समय एवरग्रीन म्यूजिक पार्टी की स्थापना स्थानीय कलाकारों के सहयोग से हुई थी।

loksabha election banner

संयोग की बात है कि उसी वर्ष राजकपूर की फिल्म संगम प्रदर्शित हुई थी। इस यंत्र का प्रचनल उस समय से काफी अधिक हो गया। अभी भी पुराने गीतों में यही बजता है। 1950 से 80 तक इस वाद्य यंत्र का खूब बोलबाला था। इसका सबसे अधिक इस्तेमाल संगीतकार शंकर जयकिशन ने किया।

हर साज अपनी जगह पर सही

कृष्णा राव ने बताया कि अभी उतने कार्यक्रम नहीं होते। 90 के दशक तक हर साल 20-25 कार्यक्रम होते थे । उन्हें इस वाद्य यंत्र को बजाने का मौका मिलता था। अब वे इसे घर में बजाते हैं। उन्होंने कहा कि अब इसके विकल्प के रूप में कई लोग कीबोर्ड का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन हर साज अपनी जगह सही है। वाद्य यंत्र की गुणवत्ता उसके असली साज में होती है।

गबरी को फख्र है कि उनके पास सुर-बहार

स्पिक मैके से जुड़े सोनारी निवासी रंजीत सिंह गबरी को इस बात का फख्र है कि उनके पास सुर-बहार जैसा प्राचीन वाद्ययंत्र है। इसे उस्ताद विलायत खान के छोटे भाई उस्ताद इमरत खान बजाते हैं। इमरत खान अभी लंदन में रहते हैं। इमरत खान के दूसरे बेटे व विलायत खान के भतीजे उस्ताद इरशाद खान भी सुर-बहार बजाते हैं। इरशाद खान कनाडा में रहते हैं। बहरहाल, गबरी करीब 40 वर्ष पहले कोलकाता के राधाबाजार स्ट्रीट स्थित वाद्ययंत्रों की एक दुकान पर गए, तो वहां सुर-बहार रखा हुआ देखा। पूछताछ करने पर दुकानदार ने बताया कि इसे खरीदने के लिए विदेशी लोग भी इच्छा जता चुके हैं, लेकिन जो इसका मालिक है, उसकी मर्जी के बगैर नहीं बेच सकता। काफी मशक्कत के बाद वहीं पास में रहने वाले पुराने संगीतकार फरीद सुल्तानी के बेटे से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि जो इसकी कद्र करेगा, बजा सकेगा, उसी को दूंगा। गबरी ने इसे बजाकर दिखाया, तो वह देने को तैयार हो गए। गबरी बताते हैं कि इस वाद्ययंत्र को उस्ताद विलायत खान के घराने वाले ही बजाते हैं। दरअसल, यह कच्छप वीणा का ही परिष्कृत रूप है। इसमें एक ही परदे पर सातों सुर निकाले जा सकते हैं। पंचम स्वर में इसका कोई सानी नहीं है। इस वाद्ययंत्र का ईजाद उस्ताद विलायत खान के परदादा उस्ताद इमदाद हुसैन खान ने किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.