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    World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस पर जानिए कौन हैं ट्री-मैन, जो हर महीने अपनी सैलरी का 10 फीसदी पौधारोपण पर खर्च करते हैं

    World Environment Day क्षेत्र में इंदल ट्री मैन नाम से भी जाने जाते है। पौधारोपण के इस पुनित कार्य में प्रो इंदल पासवान अपने सैलरी का 5 से 10 प्रतिशत खर्च करते है। अमूमन तौर पर इतना बजट यह पौधारोपण के कार्य के लिए जरूर बचाकर रखते है।

    By Madhukar KumarEdited By: Updated: Sun, 05 Jun 2022 02:01 PM (IST)
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    World Environment Day: पर्यावरण दिवस पर जानिए ट्री मैन की कहानी।

    घाटशिला, जासं। पौधारोपण जब जुनून बन जाए तो यह एक अभियान का रूप लेने लगता है। ऐसा ही कुछ जुनून प्रो इंदल पासवान के अंदर है। पेशे से घाटशिला कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर है। जिनके दिनचर्या का हिस्सा पौधरोपण बन गया। यह जुनून ही है कि आज प्रो इंदल पासवान के प्रयास से कई स्थान हरे भरे दिख रहे। प्रो पासवान का जुनून अब क्षेत्र के युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं व नन्हें बच्चों के बीच अभियान बनता जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता की जो लौ इन्होंने जलाई थी, आज वह लोगों को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में प्रकाश दिखाने का काम कर रहीं है।

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    इलाके में ट्री मैन के नाम से जानते हैं लोग

    लोग पौधारोपण के इस पवित्र मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आ रहे हैं। क्षेत्र में प्रो इंदल को ट्री मेन के नाम से भी जाना जाने लगा है। पौधारोपण के इस पुनित कार्य में प्रो इंदल पासवान अपने सैलरी का 5 से 10 प्रतिशत खर्च करते है। अमूमन तौर पर इतना बजट यह पौधारोपण के कार्य के लिए जरूर बचाकर रखते है। नर्सरी से निजी स्तर पर पौधा खरीदना फिर उसे अलग अलग स्थानों पर लगाना, इनका एक शौक बन चुका है। प्रो इंदल बताते है कि पौधरोपण का शौक उन्हें बालक काल के दरमियान से ही था।

    बचपन से ही पौधा लगाने का था शौक

    प्रो पासवान बताते है कि बात 1990 की है। तब वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। एक दिन देखा कि मेरे पिता व गांव के कुछ लोग खेत बनाने के लिए कुछ पेड़ों को काट रहे थे। पेडों को कटता देख मुझे दर्द महसूस होने लगा। लेकिन तब जंगल व पेड़ काटकर ही खेत बनाया जाता था। क्योंकि खेती के लिए खुले जगह की कमी थी। फिर मेरे मन में बार बार यह सवाल आने लगा कि इंसान को जीवित रहने के लिए भोजन जरूरी है, इसलिए खेत बनाना भी जरूरी है। लेकिन भोजन के साथ जीवित रहने के लिए आक्सीजन भी जरूरी है। इसलिए पेड़ भी जरूरी है। इसलिए प्रण लिया कि मैं खुद पौधारोपण करूंगा। हाईस्कूल में जब था तो 300 शीशम के पेड़ लगाए थे। मेरा उद्देश्य है कि पौधारोपण की संस्कृति विकसित किया जा सके।

    अब तक लगा चुके है 1 लाख पौधे, विवाह उपहार में देते है पौधा

    प्रो इंदल पासवान हर पल को पौधारोपण के मुहिम में लगाना चाहते है। उन्होंने अब तक लगभग 1 लाख पौधे लगा चुके है। अपने साथियों संग मिलकर संथाल परगना क्षेत्र में लगभग 50 हजार पौधे लगा चुके है। नेशनल हाइवे किनारे घाटशिला से सोनाखुन तक 5 किमी क्षेत्र में एनएच किनारे पौधा लगा चुके है। जिनके विवाह अनुष्ठान में जाते है तो उन्हें उपहार स्वरूप पौधा देते है। समाजिक कार्यक्रमों में अतिथियों को पौधा उपहार स्वरूप देते। खासकर आध्यात्मिक रूप से जुड़े तुलसी,पीपल, नीम, बरगद जैसे पेड़ देते है। ताकि लोगो का लगाव आध्यात्मिक रूप से पौधों के प्रति रहे। प्रो इंदल ने गलवान घाटी में शहीद हुए गणेश हांसदा व कुंदन ओझा के नाम पर पावड़ा मैदान में शहीद पार्क बनाया। मैदान के किनारे पौधे लगाए गए। घाटशिला कॉलेज के पीजी बिल्डिंग निर्माण के दरमियान जब पेड़ काटे गए तो प्रो इंदल ने संकल्प लिया कि काटे गए पेड़ों के तीन गुणा अधिक पेड़ कॉलेज में लगाएंगे। विद्यार्थियों संग मिलकर कॉलेज परिसर में असंख्य पेड़ लगाए।