Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World AIDS Day: कोल्हान में हर साल बढ़ रहे 500 से अधिक AIDS के मरीज, MGM अस्पताल के जर्जर भवन में हो रहा इलाज

    By Jagran NewsEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Thu, 01 Dec 2022 02:21 PM (IST)

    World AIDS Day एमजीएम अस्पताल में लगभग हर साल सात हजार से अधिक लोगों की जांच होती है। इसमें 500 से अधिक एचआइवी के मरीज मिलते हैं। एचआइवी पाजिटिव मरीजों को एड्स होने में लगभग 10 साल लगता है।

    Hero Image
    World AIDS Day: कोल्हान में हर साल बढ़ रहे 500 से अधिक AIDS के मरीज

    जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वी सिंहभूम जिले में एड्स मरीजों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन चिंता का विषय है कि उस अनुपात में इलाज की सुविधा नहीं बढ़ रही है। पूरे कोल्हान के मरीज साकची स्थित एमजीएम अस्पताल आ रहे हैं, जहां एआरटी सेंटर में उनका इलाज किया जाता है। अफसोस की बात है कि जहां एआरटी सेंटर चलता है, वह भवन कंडम घोषित हो चुका है। इससे न सिर्फ मरीज, बल्कि डाक्टर व कर्मचारियों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। अगर शीघ्र ही इसपर कोई कदम न उठाया गया, तो बड़ा हादसा हो सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भवन टूट-टूटकर गिर रहा है। वहीं, मरीजों की संख्या में वृद्धि को चिकित्सक जागरूकता को महत्वपूर्ण कारण बताते हैं। उनका कहना है कि पहले अधिकतर मरीज बीमारी छिपाते थे, अब ऐसा नहीं है। अब लोग समझने लगे हैं कि शुरुआती लक्षणों में ही इलाज आरंभ हो जाए, तो यह ठीक हो सकता है। यह बड़ा बदलाव है।

    एचआइवी पाजिटिव मरीजों को एड्स होने में लगते हैं 10 साल 

    एमजीएम अस्पताल में लगभग हर साल सात हजार से अधिक लोगों की जांच होती है। इसमें 500 से अधिक एचआइवी के मरीज मिलते हैं। एचआइवी पाजिटिव मरीजों को एड्स होने में लगभग 10 साल लगता है। दरअसल, एचआइवी के शरीर में दाखिल होने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। शरीर पर कई तरह की बीमारियां और इंफेक्शन पैदा करने वाले वायरस अटैक करने लगते हैं। वर्तमान में एमजीएम अस्पताल के एआरटी सेंटर में चार हजार से अधिक मरीज रजिस्टर्ड हैं।

    दवा की कमी से जूझ रहा एआरटी सेंटर

    एआरटी सेंटर में दवाओं की कमी लगभग हमेशा देखी जाती है, जिसके कारण मरीजों के इलाज में परेशानी हो रही है। दवा खत्म होने की वजह से कई बार मरीजों की दवा छूट भी जाती है। चूंकि एचआइवी की दवा काफी महंगी होती है, जिसे खरीद पाना हर किसी की बस की बात नहीं है। वर्तमान में भी कई जरूरी दवाएं नहीं हैं।

    नोडल पदाधिकारी डा. पी. सरकार ने बताया कि एड्स के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। अब लोग शुरुआती दौर में ही जांच कराने पहुंच रहे हैं, जिससे मरीजों की पहचान समय पर हो रही है। पहले उन्हें खोजना पड़ता था। वहीं, जर्जर एआरटी सेंटर के लिए दूसरे जगह भवन की मांग की गई है, ताकि परेशानी नहीं हो। 

    बता दें कि अब तक जिले में 4 हजार से अधिक रजिस्टर्ड एचआइवी मरीज है, जिनकी जांच से लेकर दवा तक निशुल्क है। मरीजों को हर माह निश्चित राशि भी मिलती है। एमजीएम में हर साल 7 हजार से अधिक लोगों की जांच होती है। 

    क्या है एड्स

    एड्स में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे कि शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। अभी तक एड्स का इलाज नहीं खोजा जा सका है। एड्स के मरीजों को कुछ एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं दी जाती हैं, जो एड्स को और घातक होने से रोकती हैं। 

    एड्स के तीन मुख्य कारण

    • असुरक्षित यौन संबंध 
    • रक्त का आदान-प्रदान
    • मां से शिशु में संक्रमण

    एड्स के तीन मुख्य लक्षण 

    • वजन में कमी
    • 30-35 दिन से ज्यादा डायरिया रहना
    • लगातार बुखार बना रहना

    एड्स के मरीजों में इन बीमारियों का खतरा अधिक

    एड्स के मरीजों में न्युमोनिया, टीबी, कैंसर, क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस (आंतों में पाए जाने वाले एक परजीवी से होने वाली समस्या), टोक्सोप्लाज्मोसिस (मस्तिष्क से संबंधित समस्या), ओरल थ्रस (मुंह व गले में फंगल इंफेक्शन) होने का खतरा अधिक रहता है।

    comedy show banner
    comedy show banner