Cyclone ALERT : साइक्लोन ‘गुलाब’ एक नए चक्रवात को दे सकता जन्म, जानिए कैसे
Cyclone Again Alert सामान्यतः सितंबर में बारिश नहीं होती है। दुर्गापूजा आते-आते रात में मौसम में ठंडक आने लगती है। लेकिन इस साल मौसम का मिजाज बदला हुआ है। साइक्लोन गुलाब दस्तक दे रहा है तो दूसरी ओर एक और तूफान की आने की आहट है। जानिए कैसे...
जमशेदपुर, जासं। आमतौर पर यही माना जाता है कि भादो या भाद्रपद मास के बाद बारिश नहीं होती है, लेकिन कम से कम झारखंड में बारिश हो रही है। भादो का महीना 22 सितंबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन अब ठंड का मौसम दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। इसकी वजह है कि साइक्लोन या चक्रवात ‘गुलाब’ आ गया है।
गुलाब की वजह से मानसून जारी है। झारखंड के मौसम विभाग ने जमशेदपुर में दो अक्टूबर तक बारिश होने की चेतावनी दी है। यही नहीं, इस चक्रवात के कारण ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात में 30 सितंबर तक भारी बारिश की चेतावनी है।
देश में दो बार आता है साइक्लोन
आमतौर पर भारत में दो बार चक्रवात आता है। एक मार्च से मई और दूसरा अक्टूबर से दिसंबर के बीच होता है। हालांकि कई बार जून और सितंबर में भी चक्रवात आते रहे हैं।
जून से सितंबर में मानसून प्रबल रहने से चक्रवात बनने की संभावना या अनुकूल परिस्थिति नहीं होती है। इस दौरान पृथ्वी और बादलों के बीच हवा की गति के बीच का अंतर अधिक होता है। इसकी वजह से बादल लंबवत रूप से नहीं बढ़ते हैं। ऐसे में मानसून के दबाव अक्सर चक्रवात में तीव्र होने में विफल होते हैं।
गुलाब शनिवार को विकसित हुआ था
इस बार बंगाल की खाड़ी में गुलाब चक्रवात शनिवार को विकसित हुआ था। यहां से यह रविवार को आंध्रप्रदेश के तटवर्ती कलिगपट्टनम पहुंचा, जबकि जमशेदपुर समेत झारखंड में मंगलवार को तेज गति से पहुंचने की संभावना जताई गई है। यह कहा जा सकता है कि इस साल चक्रवात का मौसम सामान्य से पहले शुरू हुआ। पिछले साल भी सितंबर में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात विकसित हुआ था।
चक्रवात गुलाब के अवशेष जमीन पर कैसे टिके हुए हैं
आमतौर पर चक्रवात धरती पर पहुंचने के बाद कमजोर हो जाते हैं और इसके तुरंत बाद समाप्त हो जाते हैं। सामान्य सितंबर के विपरीत जब उत्तर पश्चिम भारत के क्षेत्रों के शुष्क क्षेत्रों से मानसून की वापसी शुरू होगी, इस वर्ष अभी भी बहुत नमी उपलब्ध है। यह मुख्य रूप से चक्रवात गुलाब के अवशेषों को उसके लैंडफॉल के बाद ईंधन दे रहा है, जिससे भूमि पर उसके भरण-पोषण में मदद मिल रही है।
गुलाब के कमजोर पड़ने के आसार
मौसम विज्ञानी एसके शर्मा बताते हैं कि गुलाब चक्रवात के कमजोर पड़ने की संभावना ज्यादा है। सितंबर में धरती पर नमी होती है, जबकि चक्रवात को गति देने के लिए गर्मी मदद करती है। चूंकि अभी मौसम शुष्क नहीं है। बहुत ज्यादा गर्मी नहीं पड़ रही है। पड़ भी रही है तो धूप निकलने तक ही। यही वजह है कि बंगाल की खाड़ी से शनिवार को उठने के बाद गुलाब सोमवार सुबह तक कमजोर हो गया। इसका असर सोमवार तक उत्तरी तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़ और विदर्भ में था। अगले 24 घंटों में यह उत्तर महाराष्ट्र व गुजरात तट की ओर बढ़ने का अनुमान है। बहुत संभव है कि वह वहां जाकर समाप्त हो जाएगा।
गुलाब से नए चक्रवात उत्पन्न होने की कितनी संभावना
जलवायु की दृष्टि से एक चक्रवात आने के बाद दोबारा चक्रवात बनने की संभावना कम होती है, लेकिन गुलाब के बारे में कहा जा रहा है कि यह एक नए चक्रवात को जन्म दे सकता है। हालांकि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि ऐसा पहले भी हो चुका है। नवंबर 2018 में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात गाजा बना था। यह तमिलनाडु तट के पास एक लैंडफॉल बनाने के बाद पश्चिम की ओर चला गया और मध्य केरल तट से अरब सागर में फिर से उभर गया था।
हो सकता है कि उत्तरी अरब सागर पर मौजूदा गर्म परिस्थितियों के कारण चक्रवात गुलाब के अवशेष तेज हो सकते हैं। यदि एक बार यह चक्रवात 68 से 87 किलोमीटर प्रति घंटा की हवा की गति प्राप्त कर लेगा तो नया तूफान जन्म ले सकता है। इस बात की प्रबल संभावना है कि यह प्रणाली गुजरात तट के करीब उत्तरी अरब सागर में फिर से उभर सकती है। वैसे यदि नया चक्रवात बना भी, तो भारत पर इसका असर खतरनाक नहीं होगा।
सितंबर के महीने में बंगाल की खाड़ी में उठे तूफान (1950-2021)
साल तूफान की संख्या साल तूफान की संख्या
2018 01 1968 02
2005 01 1966 01
1997 01 1961 01
1985 01 1959 01
1981 01 1955 02
1976 01 1954 01
1974 01 1950 01
1971 01 कुल 18
1972 01