हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन विधायक दल के नेता चुने गए। उन्होंने टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने मजदूर आंदोलन से राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था। झामुमो में शिबू सोरेन के बाद सबसे ज्यादा आदर इन्हीं को मिलता है। राजनीति में चंपई शिबू सोरेन को ही अपना आदर्श मानते हैं।
जासं, जमशेदपुर। सरायकेला-खरसावां जिला स्थित जिलिंगगोड़ा गांव के निवासी चंपई सोरेन कोल्हान टाइगर के नाम से लोकप्रिय हैं। इन्हें टाइगर की उपाधि 2016 में तब मिली थी, जब इन्होंने 1990 में टाटा स्टील के अस्थायी श्रमिकों के लिए अनिश्चितकालीन गेट जाम आंदोलन किया था और लगभग 1700 ठेका मजदूरों की कंपनी में स्थायी प्रतिनियुक्ति कराई थी।
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हमेशा विवादरहित रहे हैं चंपई
चंपई ने राजनीति के क्षेत्र में मजदूर आंदोलन से ही कदम रखा था। इस आंदोलन के बाद यह धारणा बन गई थी कि चंपई जहां भी आंदोलन का नेतृत्व करेंगे, वहां जीत मिलेगी। झामुमो सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री चंपई विवादरहित रहे हैं। पार्टी में शिबू सोरेन के बाद सबसे ज्यादा आदर इन्हीं को मिलता है।
चार बेटे और तीन बेटियों के पिता हैं चंपई
11 नवंबर, 1956 को जन्मे चंपई ने दसवीं तक की पढ़ाई बिष्टुपुर स्थित रामकृष्ण मिशन उच्च विद्यालय से की थी। चंपई सोरेन पहला चुनाव सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से 1991 में निर्दलीय लड़े और जीते थे।
इसके बाद 1995 में झामुमो का टिकट मिला और जीते थे। 2000 में भाजपा के अनंतराम टुडू से हार गए थे। इसके बाद चंपाई 2005 से लगातार 2009, 2014 व 2019 में विजयी रहे हैं। चंपई के चार पुत्र व तीन पुत्री हैं।
2009 में पहली बार बने थे मंत्री
चंपाई सोरेन 2009 से 2014 की राज्य सरकार में पहली बार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, श्रम व आवास विभाग के मंत्री बने, फिर उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया गया। 2014 और 2019 में भी चंपाई परिवहन मंत्री बनाए गए।
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