टीडीएस व स्पेक्ट्रोमीटर से जांचे गए पानी के नमूने
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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : राज्य स्वच्छता सम्मेलन में लगे पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के वाटर लैब स्टॉल पर पानी की जांच के लिए विभिन्न मशीनों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस स्टॉल पर लोगों ने पानी के तकरीबन 45 नमूने टेस्ट कराए। इनमें से तकरीबन 15 नमूने ठीक नहीं थे।
इस स्टॉल पर टीडीएस (टोटल डिजर्व सालिड्स) मीटर का प्रदर्शन किया गया। लोगों ने इस मशीन के बारे में जाना। यह थर्मामीटर जैसी मशीन है जिसे पानी में डुबोने पर वह टोटल डिजर्व सॉलिड्स के बारे में बताती है। इससे पता चलता है कि पानी में जरूरी तत्व हैं या नहीं। जल प्रयोगशाला की केमिस्ट सुप्रिया कुमारी ने बताया कि किसी भी जल में टीडीएस 100 से 1000 एमजी (मिली ग्राम) पर लीटर होना चाहिए। यहां पीएच इंडीकेटर भी थे जिससे पानी की जांच की जा रही थी। जल में पीएच 6.5 से 8.5 तक होना चाहिए। पीएच ज्यादा होने पर पानी का जायका खराब हो जाता है। यह कम मीठा हो जाता है। यहां स्पेक्ट्रोमीटर भी रखा था। इससे पानी में फ्लूराइड आयरन आदि की जांच होती है।
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पानी में फ्लोराइड है तो खूब खाएं लहसुन-अदरख
जांचे गए कुछ नमूनों में यह दोनों तत्व पाए गए। केमिस्ट सुप्रिया ने लोगों को समझाया कि पानी में फ्लोराइड तत्व होने से खाना हजम नहीं होता। बच्चों को यह पानी ज्यादा नुकसान करता है। इससे मसूढ़े खराब होते हैं और जोड़ों के दर्द बढ़ जाता है। जिनके पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा पाई गई उन्हें कैल्शियम के लिए चकोड़ साग, दूध व अंडा, विटामिन सी के लिए टमाटर, नींबू, आंवला व पत्ता गोभी और साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट के तौर पर लहसुन, अदरख, गाजर, पपीता, शकरकंद का नियमित इस्तेमाल करने की सलाह केमिस्ट ने दी।
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