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    Jamshedpur News : झारखंड की स्वर्णरेखा व दामोदर नदी का जल प्रवाह होगा तेज, बन रहा डीपीआर

    By Jagran NewsEdited By: Uttamnath Pathak
    Updated: Tue, 18 Oct 2022 09:10 AM (IST)

    झारखंड की प्रमुख नदी स्वर्णरेखा व दामोदार का जल प्रवाह तेज करने की कवायद प्रारंभ कर दी गई है। इसके लिए डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी भारतीय वानिकी अनुसंध ...और पढ़ें

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    इस खबर को प्रदर्शित करने के लिए स्वर्णरेखा नदी की फाइल फोटो।

    मनोज सिंह, जमशेदपुर : झारखंड की प्रमुख नदी स्वर्णरेखा व दामोदर नदी के कुंद हो रहे जल प्रवाह को तेज करने के लिए कार्य शुरू कर दिए गए हैं। इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून को डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), झारखंड ने वरिष्ठ वन अधिकारी नतेश कुमार को नोडल अधिकारी प्रतिनियुक्त किया है। योजना के संबंध में नोडल पदाधिकारी नतेश कुमार ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर देखा गया है कि स्वर्णरेखा व दामोदर नदी बरसात के समय पूरी तरह उफान पर रहती है। उस समय नदी का में जल प्रवाह काफी तेज रहती है, लेकिन बरसात खत्म होने के बाद प्रवाह में कमी देखी जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण है नदियों में आने वाले पानी के स्रोत वाले स्थानों से जल प्रवाह की धारा का कम होना। इस योजना के तहत स्वर्णरेखा व इसकी सहायक नदी खरकई तथा दामोदर की सहायक बराकर नदी के कुंद पड़े जल प्रवाह को तेज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि डीपीआर तैयार होने के बाद उसमें दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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    कई विभाग मिलकर करेंगे काम

    नदी के जल प्रवाह को तेज करने में वन विभाग के अलावा कृषि विभाग, ग्राम पंचायत, मनरेगा समेत अन्य विभागों से भी सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए विभिन्न विभागों से डाटा मांगा गया है। इस योजना के तहत स्वर्णरेखा व दामोदर नदी के उद्गम स्थल से लेकर जल बहाव की धारा को कम करने के कारकों को दूर किया जाएगा। इससे नदियों में सालों भर पानी रहेगी। गर्मी के दिनों में नाला का रूप धारण कर रहे नदियों में हमेशा पानी रहे। इससे मानव जीवन के साथ ही पानी में रहने वाले जीवों को जीवनदान मिलेगा।

    नदी के किनारे से पांच किलोमीटर तक लगाए जाएंगे पौघे

    योजना के नोडल पदाधिकारी नतेश कुमार ने बताया कि वन विभाग नदी के किनारे खाली स्थानों पर बड़े पैमाने पर पौधे लगाएगा। नदी में पानी का स्रोत हमेशा रहे इसके लिए नदी से किनारे पांच किलोमीटर तक खाली जमीन पर पौधे लगाए जाएंगे। चाहे जमीन सरकारी हो या गैर सरकारी। उन्होंने बताया कि नदी किनारे पौधे लगने से नदियों में जल की कमी नहीं होगी।